Thursday, 26 March 2009

सत्ता सुख भोग रहे उक्रांद ने कार्यकर्ताओं को थमाया लालीपाप

सत्ता के चैन को तबियत बेचैन यह बात भाजपा और उक्रांद दोनों को पता है कि अब चुनावी गठबंधन संभव नहीं है। इसके बाद भी एक सीट देने के प्रस्ताव की बात समझ से परे है। माना यही जा रहा है कि सत्ता सुख भोग रहे उक्रांद के कुछ नेताओं ने सरकार से समर्थन वापसी की मांग कर रहे कार्यकर्ताओं को लालीपाप थमाया है। उक्रांद में इस समय सरकार से समर्थन वापसी का मुद्दा खासा मुखर हो रहा है। सत्ता का सुख भोग रहे कुछ नेताओं को यह रास नहीं आ रहा है। ये नेता लोस चुनाव में फ्रेंडली फाइट कर रहे हैं। इसे कार्यकर्ताओं ने स्वीकार नहीं किया तो उक्रांद के कुछ नेता अपने भाजपाई दोस्तों के साथ बैठे और एक फार्मूला निकाला। तय किया गया है कि प्रदेश भाजपा की ओर से हाईकमान को एक प्रस्ताव भेजकर एक सीट उक्रांद को देने की बात की जाएगी। ऐसे में एक सवाल खड़ा हो रहा है। भाजपा प्रत्याशी सभी सीटों पर प्रचार में जुटे हैं। फिर सरसरी तौर पर एक बार ऐसे प्रस्ताव को भाजपा हाईकमान पहले ही खारिज कर चुका है। हरिद्वार सीट पर फजीहत झेल चुकी भाजपा क्या एक बार फिर वैसे ही हालात से रूबरू होना चाहेगी। यकीनी तौर इस सवाल का उत्तर सिर्फ और सिर्फ ना ही होगा। इसके बाद भी उक्रांद नेता इस प्रस्ताव से संतुष्ट हो गए और समर्थन वापसी की बात को टाल दिया। अब कार्यकर्ता अगर फिर यही बात उठाते हैं तो उन्हें यही समझाया जाएगा कि अभी तो भाजपा उनके प्रस्ताव पर विचार कर रही है। खास बात यह भी है कि इस प्रस्ताव के बारे में निर्णय के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। पहले तो यह प्रस्ताव प्रदेश संसदीय समिति पारित करेगी, फिर केंद्र को भेजा जाएगा। हो सकता है कि उस समय तक नामांकन और नाम वापसी का वक्त ही निकल चुका हो। जाहिर है कि उक्रांद नेताओं ने भाजपा के साथ मिलकर खेले इस सियासी खेल के जरिए कार्यकर्ताओं को लालीपाप थमाया है। समय गुजरने की रफ्तार से ही कार्यकर्ताओं का आक्रोश भी धीरे-धीरे शांत हो जाएगा। इस तरह वे सत्ता सुख भोगते रहेंगे और कार्यकर्ता यूं ही ताकतें रहेंगे।

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