Friday, 13 March 2009
नहीं मिल रहा योजना का लाभ
देहरादून, : देवभूमि में सैलानियों को मूलभूत सुविधाएं और स्थानीय लोगों को स्वरोजगार मुहैया कराने के मकसद से शुरू की गई वीर चंद्रसिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में तमाम आवेदकों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। बैंकों द्वारा कई ऋण आवेदन निरस्त करने और कईयों के लंबित रहने से ऐसी स्थितियां बनी हैं। इसके चलते अभ्यर्थियों की आशाओं पर तुषारापात हुआ है। दून जनपद में इस योजना में एक दर्जन आवेदन निरस्त कर दिए गए, जबकि 22 बैंकों में लंबित पड़े हैं। राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए इसे बढ़ावा देने के साथ ही यहां पर्यटकों के लिए अच्छे वाहन, होटल, लॉज जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से वीर चंद्रसिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना शुरू की गई। शुरुआत में इसके अच्छे परिणाम भी सामने आए, मगर अब बड़ी संख्या में आवेदन निरस्त होने के कारण इसकी गति में थोड़ी कमी आई है। दून जिले की ही बात करें तो गत 31 दिसंबर तक इस योजना में 17 लोगों को ऋण वितरित किए गए, जबकि 24 अभ्यर्थियों के ऋण आवेदन निरस्त कर दिए गए। इसके अलावा बैंकों में 22 आवेदन लंबित पड़े हैं। जिला लीड बैंक अधिकारी गोपाल सिंह राणा के अनुसार इस योजना में होटल, लॉज आदि के लिए आवेदन करने वाले तमाम लोगों के आवेदन सिर्फ इसलिए निरस्त होते हैं, क्योंकि उनके पास लैंड कन्वर्जन प्रमाणपत्र नहीं होता। इसके अलावा कईयों के निर्माण से संबंधित नक्शे एमडीडीए या दून घाटी विकास प्राधिकरण से पास नहीं थे। उन्होंने बताया कि योजना में वाहन लेने के इच्छुक तमाम आवेदक ऋण मार्च तक ही चाहते हैं। कारण यह है कि अपै्रल से यात्रा सीजन शुरू होता है। इसी के चलते वे औपचारिकताएं पूरी करने में लेटलतीफी करते हैं। नतीजतन ऋण आवेदन लंबित पड़े रहते हैं। श्री राणा के अनुसार बैंकों में लंबित पड़े इस योजना से संबंधित ऋण आवेदनों को इसी माह निस्तारित करने को कहा गया है।
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