Tuesday, 31 March 2009
राज्य को रोशन करेगा खंदूखाल
श्रीनगर गढ़वाल: सब कुछ ठीक चला तो अगले कुछ सालों में श्रीनगर का खंदूखाल उत्तराखंड सहित देशभर को रोशन करने में बड़ी भूमिका निभाएगा। यहां लगभग दो सौ करोड़ की लागत से अलग-अलग क्षमताओं के तीन विद्युत स्टेशन शुरू करने की योजना है। अच्छी बात यह है कि इन पर कार्य शुरू भी किया जा चुका है। अधिकारियों की मानें, तो वर्ष 2011 तक यह क्षेत्र इलेक्टि्रसिटी हब के तौर पर पहचान बना लेगा। उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश के तौर पर विकसित करने के लिए विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग क्षमताओं वाली परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है। इनमें श्रीनगर में 330 मेगावाट, लाता तपोवन में 171 मेगावाट, बदरीनाथ में 140 मेगावाट, विष्णुगाड़ में 520 मेगावाट, पीपलकोटी में 444 मेगावाट, बावला (नंदप्रयाग) में 300 मेगावाट, लंगासू में 141 मेगावाट, देवसारी में 300 मेगावाट, रामबाड़ा में 76 मेगावाट, सिगनौली में 99 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं प्रस्तावित या निर्माणाधीन हैं। ऊर्जा निगम इन परियोजनाओं को लेकर तो उत्साहित है, लेकिन अब तक यहां से मिलने वाली बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था न होना उसकी परेशानी का सबब बनी हुई थी। अब उसकी यह समस्या हल होने वाली है। निगम ने श्रीनगर के खंदूखाल को विद्युत आपूर्ति स्टेशन के लिए चुना है। जानकारी के मुताबिक यहां करीब 18 हेक्टेअर क्षेत्र में 180 करोड़ रुपये की लागत से विद्युत स्टेशन स्थापित करने की योजना है। 400, 200 और 132 केवी क्षमता के तीन स्टेशन यहां बनने हैं। इस बारे में अधिशासी अभियंता राजकुमार ने बताया कि जलविद्युत परियोजनाओं से मिलने वाली बिजली इसी विद्युत स्टेशन के माध्यम से नेशनल ग्रिड को भेजी जाएगी। इसके लिए खंदूखाल से काशीपुर तक 400 केवी विद्युत लाइन बिछाई जाएगी। उन्होंने बताया कि यहां से 12 प्रतिशत बिजली उत्तराखंड को नि:शुल्क मिलेगी, जबकि शेष बिजली नेशनल ग्रिड में जाएगी। उन्होंने बताया कि खंदूखाल में अभी लैंड डवलपमेंट कार्य चल रहा है। खंदूखाल के अलावा पीपलकोट, कर्णप्रयाग, तपोवन, घनसाली, कौडि़याला, सतपुली और शिमली में भी अलग-अलग क्षमताओं के स्टेशन बनाए जाने की योजना है।
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