Friday, 13 March 2009

ऐसे ही बीत गई होली.

DEHRADUN (13Mar): एक साल से ज्यादा वक्त बीत गया है. आज तक जिस मुद्दे के लिए वे विधानसभा के सामने बैठे हैं, उसमें से कुछ भी हासिल नहीं हुआ. आखिर कैसे होली मनाने घर जाते. घर पहुंच भी जाते तो वहां लोग पूछते कि किस मुंह से तुम लोग यहां आए हो. क्या पाया तुमने. बस इसी कसक से उन्होंने होली जैसे त्योहार को मनाने का मन ही त्याग दिया. यकीनन घर की याद आती है. लेकिन किस्मत है कि मेले-ठेलों, त्योहारों और सुख-दुख में भी परिजनों से मिलना तो दूर हालचाल पूछना भी नसीब नहीं होता है. सच्चाई कुछ यह भी ये किसी मूवी की स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि लंबे समय से नौकरी के लिए विधानसभा के सामने जूझ रहे तमाम बेरोजगारों की व्यथा है. शिक्षा आचार्य, अनुदेशक कहते हैं कि विधानसभा के सामने नौकरी के लिए आंदोलनरत हैं, और पिछले दो होली के त्योहारों से वे अपने घर-परिवार से जुदा हैं. मां, भाई, बहन का फोन आता है कि त्योहार के लिए घर आ जाए. किस्मत है कि अपनों से ही जुदा होने दे रही है. 400 दिनों से विधानसभा के सामने आंदोलनरत शिक्षा आचार्य खजान सिंह चौहान और जैल सिंह का कहना है कि वह होली के जैसे कई त्योहारों को भी त्यागने के लिए तैयार हैं. लेकिन अपनी हक की लड़ाई को नहीं छोड़ेंगे. आंदोलन के 469 दिन न केवल होली, बल्कि आने वाले लोक सभा चुनावों में भी वह बीजेपी गवर्नमेंट का विरोध करेंगे. घर, रिश्तेदारों को बीजेपी के पक्ष में मतदान के लिए दूर रहने की बात करेंगे. समस्या 469 दिनों से नौकरी मांग रहे एनटीटी प्रशिक्षितों की भी कुछ ऐसी है. विधानसभा के सामने ही नौकरी के लिए आंदोलनरत रेनू बिष्ट कहती हैं कि उन्होंने और उसकी कई सहेलियों ने होली, दीपावली और रक्षा बंधन जैसे त्योहार छोड़ दिए हैं. एनटीटी प्रशिक्षित का कहना है वे भी लोकसभा चुनावों में बीजेपी का जमकर विरोध करेंगे. बैशाखी के भरोसे आंदोलन बैशाखी के सहारे विधानसभा पर ही आंदोलन कर रहे प्रादेशिक विकलांग संगठन के वर्कर्स भी बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनावों में विरोधी सुर दिखाने की वकालत कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें अपने घर त्याग दिए हैं लेकिन सरकार ने उन्हें पूछा तक नहीं. करीब पांच महीनों से विधानसभा के समक्ष ही योगा प्रशिक्षित भी मान रहे हैं कि वह बीजेपी सरकार के साथ विपक्ष का भी लोकसभा चुनावों में विरोध करेंगे. वहीं जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, वे होली, दीपावली कोई भी फेस्टिवल नहीं मनाएंगे.

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