Tuesday, 27 July 2010
-शहादत देने वालों में पीछे नहीं उत्तराखंडी
-12 सौ से अधिक पदक जीत चुके हैं सूबे के जांबाज
उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। लोक गीतों में यहां के शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र होता है वह
अब सूबे की सीमाओं में ही न सिमट कर देश-विदेश में फैल गई हैं। हर साल यहां के औसतन दर्जन भर जवान देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान करते हैं। कारगिल युद्ध में सूबे के 75 सैनिकों ने देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। ऐसा कोई पदक नहीं जो उत्तराखंड के जांबाजों ने अपने नाम न किया हो। इनकी याद में उत्तराखंड वासियों की पलकें जरूर नम होती हैं, लेकिन शहीदों की वीरगाथा से इनका सीना हमेशा फख्र से चौड़ा रहता है।
राष्ट्र की सुरक्षा और सम्मान के लिए उत्तराखंडी हमेशा से ही आगे रहे हैं। यहां के युवाओं में सेना में जाने का क्रेज आज भी बरकरार है। यही कारण है कि आईएमए से पास आउट होने वाला हर 12वां अधिकारी उत्तराखंड से है और भारतीय सेना का हर पांचवां जवान भी इसी वीर भूमि में जन्मा है। देश में जब भी कोई विपदा की घड़ी आई तो यहां के जवान अपने फर्ज से पीछे नहीं हटे। उन्होंने अपने सीने पर गोलियां खाकर देश की एकता और अखंडता पर कोई आंच नहीं आने दी। उन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देकर वतन की आन बान और शान को बरकरार रखा है। चाहे भारत-चीन युद्ध में परमवीर चक्र विजेता मेजर धन सिंह थापा का शौर्य हो या फिर हाल ही में मुंबई आतंकी हमले में शहीद हुए अशोक चक्र विजेता गजेंद्र सिंंह का अदम्य साहस। उत्तराखंड का जवान हमेशा से ही अपने फर्ज को पूरी शिद्दत के साथ निभाता रहा है। स्वतंत्रता से पूर्व यहां के कई वीर ब्रिटिश सेना के लिए भी अपनी जांबाजी दिखा चुके हैं। इसके लिए वह विक्टोरिया क्रास जैसा सम्मान भी पा चुके हैं। इनमें गबर सिंह का नाम आज भी याद किया जाता है। उनके नाम पर आज भी चंबा(टिहरी) में मेला लगाया जाता है।
पदकों की सूची
परमवीर चक्र- 1
अशोक चक्र- 04
महावीर चक्र- 10
कीर्ति चक्र- 23
वीर चक्र- 95
शौर्य चक्र- 124
उत्तम युद्ध सेवा मेडल -01
युद्ध सेवा मेडल -15
सेना, नो सेना व वायु सेना मेडल- 541
मेंशन इन डिस्पेच -115
कुल - 929
स्वतंत्रता पूर्व वीरता पदक
- विक्टोरिया क्रास - 3
- इंडियन आर्डर आफ मैरिट - 53
- मिलिट्री क्रास - 25
- इंडियन डिस्ंिटग्विस्ड सर्विस मेडल - 89
मिलिट्री मेडल - 44
मेंशन इन डिस्पेच- 150
कुल - 364
इनके अलावा यहां के अधिकारी व सैनिक परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल व विशिष्ट सेवा मेडल से भी नवाजे जा चुके हैं।
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