Tuesday, 24 March 2009
हाईकोर्ट ने खारिज की अमरमणि की जमानत याचिकानैनीताल।
कवियत्री मधुमिता शु1ला हत्याकांड में सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे उ8ार प्रदेश के पूर्व मंत्री और विधायक अमरमणि त्रिपाठी को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। सोमवार को हाईकोर्ट में अमरमणि की जमानत अर्जी पर हुई सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति बीसी कांडपाल और न्यायमूर्ति सुधांशू धूलिया की संयु1त खंडपीठ ने जमानत प्रार्थना पत्र के साथ-साथ सजा स्थगित करने संबंधी प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया।उल्लेखनीय है कि कवियत्री मधुमिता शु1ला हत्याकांड के आरोप में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि समेत रोहित चतुर्वेदी एवं संतोष राय को सीबीआई की विशेष अदालत ने २४ अ1तूबर २००७ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके बाद चारों आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। इस अपील में अमरमणि की ओर से जमानत दिए जाने हेतु प्रार्थना पत्र भी दिया गया था। पिछले सप्ताह चुनाव में भागीदारी की बात कहते हुए अमरमणि की ओर से जमानत प्रार्थना पत्र पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया गया था। इसके साथ ही अमरमणि की ओर से सजा स्थगित करने के लिए भी एक प्रार्थना पत्र न्यायालय में दिया गया था।
सोमवार को मामले में अमरमणि की ओर से बहस करते हुए यूपी के पूर्व महाधिव1ता विरेंद्र भाटिया व वरिष्ठ अधिव1ता विनोद प्रकाश श्रीवास्तव ने अमरमणि को मामले में आपराधिक षड्यंत्र में झाूठा फंसाने का आरोप लगाते हुए जमानत की मांग की। उन्होंने कहा प्रथम सूचना रिपोर्ट में अमरमणि नामजद नहीं हैं और उनके खिलाफ कोई सबूत भी नहीं है। न्यायालय को बताया गया कि मामले के पांचवें अभियु1त प्रकाश पांडे को निचली अदालत ने साक्ष्य के अभाव में निर्दोष माना है।
याची के अधिव1ताओं ने कहा अमरमणि आगामी लोकसभा चुनाव में भागीदारी करना चाहते हैं जिसके लिए उनकी सजा को स्थगित किया जाना जरूरी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का उदाहरण देते हुए बताया कि ऐसे कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में सजा को स्थगित किया है। जमानत का विरोध करते हुए सीबीआई के अधिव1ता और मृतका की बहिन निधि शु1ला के अधिव1ता पीएस अधिकारी ने मामले को जमानत के योग्य नहीं बताया। उन्होंने न्यायालय को बताया कि २९ अप्रैल २००४ को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमरमणि को जमानत दे दी थी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद २६ सितंबर २००५ को अमरमणि की जमानत निरस्त कर दी थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय की संयु1त खंडपीठ ने अमरमणि के जमानत प्रार्थना पत्र के साथ-साथ उनकी सजा स्थगित करने संबंधी प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।
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