Saturday, 14 March 2009
उत्तराखंड को केंद्र के निर्णय का इंतजार
देहरादून, : उत्तराखंड का पेंशन और वेतन मद में उत्तर प्रदेश पर 6696 करोड़ बकाया है। यूपी के रुख से परेशान उत्तराखंड ने केंद्र से मदद की गुहार की पर दो माह बाद भी कोई उत्तर नहीं आया है। पुनर्गठन विभाग ने उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के बीच पेंशनरों तथा कर्मियों का विभाजन 95:5 के अनुपात में किया है पर उत्तराखंड के हिस्से पेंशनर 11 और कर्मी 13 फीसदी आए। उत्तराखंड ने एवज में वेतन और पेंशन में हिस्सा मांगा। यूपी इस मामले को टालता रहा। 2007 में दोनों राज्य एक समिति का गठन पर राजी हो गए। समिति में यूपी के दो तथा उत्तराखंड के एक अधिकारी शामिल था। समिति ने तय मानकों के अनुसार 2014-15 तक पेंशनरों तथा कर्मियों के पेंशन व वेतन के रूप में 6696 करोड़ की देनदारी उत्तर प्रदेश पर निकाली। बाद में यूपी ने इसे देने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं, जनवरी 09 में उत्तराखंड पर सात करोड़ का बकाया निकाल दिया। इस मामले में मुख्यमंत्री की ओर से केंद्रीय वित्त मंत्री तथा प्रधानमंत्री को पत्र भेजा जा चुका है। प्रमुख सचिव (वित्त) आलोक कुमार जैन का कहना है कि उत्तराखंड को केंद्र के निर्णय का इंतजार है। यूपी को नोटिस भेजने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाना भी एक रास्ता हो सकता है पर इस बारे में सरकार ही कोई निर्णय ले सकती है। सूत्रों ने बताया कि जनवरी के प्रथम सप्ताह में सीएम ने पीएम को पत्र लिखा था। दो महीने से भी अधिक समय बाद भी केंद्र की तरफ से कोई उत्तर नहीं आया है। माना जा रहा है कि चुनाव के इस दौर में उत्तर प्रदेश को नाराज करने वाला कोई निर्णय लेने को केंद्र तैयार नहीं है।
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