Tuesday, 10 March 2009

तदर्थ नियुक्ति की राह नहीं आसान

देहरादून, मानदेय पाने वाले पीटीए शिक्षकों को तदर्थ नियुक्ति की राह आसान नहीं है। उमा देवी प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन की बाध्यता ने प्रबंध समितियों के साथ जिलास्तरीय अफसरों के हाथ बंधे दिख रहे हैं। सरकार ने लंबे अरसे से सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों में पढ़ाई की कमान संभाल रहे पीटीए शिक्षकों की मुराद पूरी तो कर दी है, लेकिन इस पर अमल कतई आसान नजर नहीं आ रहा है। फिलवक्त प्रदेश के स्कूलों में मानदेयप्राप्त 284 पीटीए शिक्षक कार्यरत हैं। शिक्षक तदर्थ नियुक्ति की मांग कर रहे थे। इस मांग को मंजूर करते हुए सरकार यह आदेश जारी कर चुकी है कि पांच सितंबर, 2003 तक प्रबंध समिति के निजी स्रोतों से सेवायोजित अंशकालिक व पीटीए शिक्षकों को तदर्थ नियुक्ति दी जाए। सरकार इस संबंध में शिक्षा निदेशक को जिला शिक्षा अधिकारियों को कार्यवाही करने के निर्देश जारी कर चुकी है। इन शिक्षकों के पक्ष में यह तथ्य है कि वे रिक्त पदों पर कार्य कर रहे हैं। साथ ही राजकोष से उन्हें मानदेय भी मिल रहा है। आदेश में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। इस वजह से गेंद प्रबंध समितियों के पाले में है। जिन समितियों ने पीटीए शिक्षकों को काम पर रखने से पहले नियुक्ति प्रक्रिया नहीं अपनाई है, उनके सामने दिक्कतें आ रही हैं। उन्हें कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन होने पर गाज गिरने का अंदेशा है। प्रबंध समितियों को यह साबित करना पड़ेगा कि उन्होंने नियुक्ति के लिए विधिसम्मत प्रक्रिया अपनाई है। समितियों के इस प्रस्ताव को जिला शिक्षा अधिकारी अनुमोदित करेंगे। प्रस्तावों में खामियां रहने पर जवाबदेही जिला शिक्षा अधिकारियों की होगी। सूचना के अधिकार ने भी महकमे के हाथ बांधे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रबंध समितियां इस मामले में पहल करने से हिचकिचा रही हैं। शासनादेश के बावजूद अभी इस दिशा में प्रगति नहीं हो पाई। महकमे के स्तर से भी लोकसभा चुनाव के बाद ही सक्रियता बरतने के संकेत हैं।

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