Wednesday, 18 March 2009

राष्ट्रीय धरोहर बनेगा कैलास यात्रा का प्राचीन पथ

पिथौरागढ़: संस्कृति विभाग ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के प्राचीन मार्ग को राष्ट्रीय धरोहर में शामिल करने की मंशा जतायी है। यह मार्ग भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने पिछले साल खोजा था। मंत्रालय ने इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। मालूम हो कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की सातवीं वाहिनी मिर्थी के कमांडेंट एपीएस निंबाडिया की पहल पर 2008 में प्राचीन कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग की खोज की गई थी। गाला से काठगोदाम तक 260 किमी लंबे इस पैदल मार्ग की खोज के लिए गठित आईटीबीपी के जवानों की टीम को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। लंबे समय से उपयोग में न आने के कारण यह मार्ग कई स्थानों पर नाममात्र का रह गया है। मार्ग के किनारे जिन धर्मशालाओं का जिक्र किया जाता था वह भी केवल अवशेष के रूप में मिलीं। कैलास यात्रा के संचालन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली आईटीबीपी का इस मार्ग की खोज का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक आपदा के दौरान प्रचलित मार्ग के अवरुद्ध होने पर यात्रा को प्राचीन मार्ग से संचालित करने का था। आईटीबीपी को इस मार्ग की खोज में मिली सफलता के बाद अब संस्कृति विभाग ने भी रुचि दिखाई है। वाहिनी के कमांडेंट निंबाडिया ने बताया कि प्रदेश के संस्कृति विभाग ने प्राचीन मार्ग के संबंध में उनसे विस्तृत जानकारी मांगी है। सरकार ने पत्र के माध्यम से इस प्राचीन मार्ग को राष्ट्रीय धरोहर में शामिल करने की मंशा जताई है। इस संबंध में शीघ्र ही संस्कृति मंत्रालय को पूरी जानकारी दे दी जायेगी।

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