Saturday, 10 January 2009
सरकार का हाथ तंग, नहीं बजट को धन
सरकार का हाथ तंग, नहीं बजट को धन
10 jan09-देहरादून सरकार का हाथ इस समय बेहद तंग है। आलम यह है कि विकास कायरें के लिए सरकार के पास धन नहीं है। ऐसे में आगामी वित्तीय वर्ष 09-10 के सालाना बजट में कटौती तय मानी जा रहा है। अब खुले बाजार से ऋण लेकर बजट को किसी तरह पिछले साल के आकार तक बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। आज सचिवालय में अफसरों ने वित्तीय वर्ष 09-10 के वार्षिक बजट पर विचार किया। सूबे के अपने वित्तीय स्रोतों की हालत देख हर विभाग के प्रस्तावित बजट में कैंची चलती रही। आलम यह है कि कर्मियों को वेतन, पेंशन और एरियर देने के बाद राज्य के लिए अपने स्रोतों से 3100 करोड़ जुटाना भी मुश्किल हो रहा है। खास बात यह है कि राज्य को इस बार दोहरी मार पड़ रही है। एक तो छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद वेतन, पेंशन और एरियर पर 1700 करोड़ अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं, तो दूसरी ओर आगामी बजट के सपोर्ट को केंद्रीय वित्त आयोग से सहयोग भी नहीं मिल रहा है। इसकी वजह बारहवें वित्त आयोग का कार्यकाल पूरा होना है। चालू वित्त वर्ष के बजट में राजकोषीय घाटे की प्रतिपूर्ति के लिए बारहवें वित्त आयोग से अच्छा खासा वित्तीय सहयोग मिला है। तेरहवें वित्त आयोग का अभी पूरी तरह गठन भी नहीं हो पाया है। ऐसे में माना यह जा रहा है कि चालू वित्तीय वर्ष के 4775 करोड़ के बजट के मुकाबले ये अगले साल संसाधन करीब 35 प्रतिशत कम होंगे। चालू वर्ष के बजट में 490 करोड़ निकाय और सार्वजनिक उपक्रमों के हिस्से से जोड़े गए थे। इसे उपयोग में ला पाना संभव नहीं बना। इस तरह चालू वित्तीय वर्ष का वास्तविक बजट 4285 करोड़ का ही है। अब अगले वर्ष 09-10 के बजट का आकार इस स्तर तक भी लाने में अफसरों का पसीना छूट रहा है। सूत्रों ने बताया कि आगामी वित्तीय वर्ष में राज्य के अपने स्रोतों से 3100 करोड़ की ही व्यवस्था हो पाएगी। इसे चालू वर्ष के 4285 करोड़ के बराबर लाने को भी करीब 1200 करोड़ रुपये कम पड़ेंगे। अगर ऐसा किया जाता है तो अगले साल सरकार को करीब 1200 करोड़ मार्केट बोरोविंग (बाजार ऋण) से जुटाने पड़ेंगे। मंदी को देखते हुए केंद्र सरकार भी राज्यों को बाजार से अतिरिक्त ऋण खुली छूट दे रही है। जाहिर है कि बाजार से ऊंची ब्याज दरों में लिया गया ऋण विकास कार्यो में लगाना राज्य को खासा महंगा साबित होगा।
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