Sunday, 25 January 2009

पहाड़ पर रोकेगें पानी और जवानी -खंडूड़ी

25 jan-देहरादून, : पहाड़ पर पानी और जवानी के न रुकने की चिंता खासी पुरानी है। माना जा रहा है कि पर्वतीय इलाकों में उद्योगों का स्थापना करके इस समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। अब सरकार ने इस दिशा में काम तेज किया है। इसकी कमान खुद मुख्य मंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने उठाई है। रोजगार की तलाश में युवाओं का पलायन इस राज्य की एक बड़ी समस्या है। साथ ही पहाड़ों ने नीचे आ रहे पानी का भी सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पानी और जवानी को पहाड़ पर ही रोकने की बात अर्से से हो रही है पर किसी कारगर उपाय के अभाव में यह समस्या कम होने की बजाय और बढ़ती जा रही है। अब राज्य सरकार ने इस दिशा में योजनाबद्ध ढंग से काम शुरू किया है। सरकार का मानना है कि पर्वतीय इलाकों में जल विद्युत परियोजनाओं के जरिए पानी को रोका जा सकता है। इसके लिए सरकार ने नई नीति भी बनाई है। माना जा रहा है कि अगर पहाड़ पर उद्योग होंगे तो युवाओं को घर में ही रोजगार मिल सकेगा। इसी कारण पर्वतीय इलाकों में उद्योग स्थापना के लिए खास पैकेज भी राज्य सरकार ने घोषित किया है। इसके बाद भी सरकार को इसके अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सके। अब मुख्य मंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी ने खुद इसकी कमान संभाली है। पिछले दिनों उनका मंुबई दौरा इसी का नतीजा था। सूत्रों ने बताया कि मंुबई में निवेशकों के साथ बातचीत में सीएम ने बताया कि सूबे में उद्योगों की स्थापना के क्या अतिरिक्त फायदे हैं। यहां उत्तर भारतीय राज्यों के समान केंद्र का पैकेज तो है ही उत्तराखंड राज्य अपनी तरफ से भी तमाम सुविधाएं दे रहा है। पर्वतीय इलाकों में उद्योगों के लिए 2018 तक लागू राज्य के पैकेज में जमीन आवंटन, स्टांप शुल्क में पूरी छूट, विशेष अनुदान, ब्याज में छूट, बिजली बिल में छूट, वैट की प्रतिपूर्ति, ट्रांसपोर्ट सब्सिडी, मेगा प्रोजेक्ट्स को वित्तीय प्रोत्साहन के साथ ही बिक्री में मदद भी शामिल है। निवेशकों को बताया गया कि यहां का औद्योगिक माहौल भी खासा बेहतर है। मैन पावर की बात की जाए तो यहां स्किल्ड और नान स्किल्ड की कमी नहीं है। देश ही नहीं विदेशों तक में उत्तराखंड की प्रतिभाएं काम कर रही है। अगर घर में ही उन्हें काम मिलेगा तो अपेक्षाकृत कम वेतन पर यहां मैन पावर मिल सकती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार की कोशिश ईको फ्रेंडली यूनिट्स के साथ ही जल विद्युत परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने की है। मुंबई में निवेशकों के साथ इन्हीं मुद्दों पर बात की गई। सरकार के तर्कों से निवेशक सहमत भी दिखाई दिए। माना जा रहा है कि अगर सरकार की कोशिशें रंग लाई तो आने वाले समय में पहाड़ पर भी उद्योगों की स्थापना होगी और उस वक्त पानी और जवानी को पहाड़ में रोकने की कल्पना साकार हो सकेगी।