Wednesday, 28 January 2009

लंढौरवासियों के मकानों की पुनर्निर्माण संबंधी दिक्कतें खत्म

मसूरी, : अंग्रेजों के जमाने के भवनों का जीर्णोद्धार अब आसानी से हो सकेगा। लंढौर क्षेत्र में डेढ़ सौ साल पुरानी इन जीर्ण-शीर्ण बहुमंजिला इमारतों की मरम्मत का मसौदा केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को नहीं भेजा जाएगा, बल्कि मसूरी-देहरा विकास प्राधिकरण ही नक्शों को स्वीकृत करेगा। पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल की पहल पर यह संभव हो पाया है। उन्होंने मुख्य सचिव से लेकर प्राधिकरण के वीसी से इस मसले पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की बात मनवाई है। यह फैसला हाल ही में देहरादून में स्ंाुप्रीम कोट की निगरानी समिति की बैठक में लिया गया। लंढौर क्षेत्र मसूरी का सबसे पुराना बाजार है। अंग्रेजों की रिहाइशी के समय से ही यहां पर बहुमंजिला इमारतों को निर्माण किया गया था। लंढौर में ऐसी दर्जनों इमारतें जर्जरहाल हैं। ये इमारतें हल्के-से भूकंप के झटके में भी जमींदोज हो सकती हैं। इस खतरे को देखते हुए स्थानीय लोग लंबे समय से इनके पुनर्निर्माण की प्रक्रिया सरल करने की मांग कर रहे थे। मसूरी में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी समिति की सिफारिशों पर भवनों के नक्शों की स्वीकृति, जो नोटिफाइड वन क्षेत्र में है, का निस्तारण केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय करता है। अनेक लोग उक्त मंत्रालय तक की प्रकिया पूरी करने में असमर्थ थे। लिहाजा वे जर्जर मकानों में ही रहने को विवश हैं। हाल ही में मॉनिटरिंग कमेटी ने निर्णय लिया कि इन भवनों की मरम्मत व जीर्णाेद्धार संबंधी नक्शे मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ही स्वीकृत करेगा। साथ ही पुराने भवनों पर निर्धारित ऊंचाई के मानक भी लागू नहीं होंगे। इससे भी सैकड़ों लोगों को राहत मिलेगी। इस निर्णय पर लंढौरवासी खुश हैं। पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल ने कहा कि मसूरी के अन्य इलाकों से हटकर लंढौर के लिए यह छूट मानवीय दृष्टिकोण पर दी गई है। उन्होंने कहा कि इससे लंढौरवासियों के मकानों की पुनर्निर्माण संबंधी दिक्कतें खत्म हो जाएंगी।