Saturday, 31 January 2009
झूठा साबित हुआ शुद्ध पेयजल मुहैया कराने का दावा
31 jan-नैनीताल: राज्य में अफसरों की लापरवाही के कारण ग्रामीण विकास से संबंधित योजनाएं दम तोड़ रही हैं। भारी भरकम धनराशि खर्च करने के बावजूद ग्रामीणों को पेयजल की दो बूंद के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। विभाग की कार्यप्रणाली की हकीकत यह है कि केंद्र द्वारा पोषित त्वरित ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम के अंतर्गत स्वीकृत योजनाओं में मात्र 21 फीसदी पूर्ण हो सकी है। राज्य सरकार का हर ग्रामीण को शुद्ध पानी पिलाने का वादा झूठा साबित हो रहा है। केंद्र पोषित ग्रामीण त्वरित जलापूर्ति कार्यक्रम ने जल संस्थान, जल निगम व स्वजल की कार्यप्रणाली ने सरकार की मंशा पर पानी फेर दिया है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में कार्यक्रम के तहत पिथौरागढ़ जिले में 371 योजनाओं के लक्ष्य के सापेक्ष सिर्फ 93 योजनाएं पूर्ण हो सकी हैं। बागेश्र्वर में 275 लक्ष्य के विपरीत शून्य, अल्मोड़ा में लक्ष्य 465 के 125, नैनीताल में 189 लक्ष्य के सापेक्ष 47, चंपावत में लक्ष्य 195 के विपरीत 58 व ऊधमसिंह नगर में दिए गए लक्ष्य 11 के सापेक्ष सिर्फ एक योजना पूर्ण हो सकी है। सूत्रों के अनुसार इस वर्ष कार्यक्रम के अन्तर्गत 850.24 लाख की धनराशि जल निगम को अवमुक्त की गई, जिसमें से 757.44 लाख रुपया विभाग द्वारा खर्च कर दिया गया। सूत्र बताते हैं कि योजना की धीमी प्रगति को देखते हुए शासन ने पूरे कार्यक्रम की प्रगति का ब्यौरा मांगा है। योजना के तहत सौ अथवा इससे अधिक जनसंख्या के गांवों में पेयजल सुविधा उपलब्ध कराना था। सूत्रों का यहां तक कहना है कि स्वैप योजना में विभागीय उलझाव के कारण इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को राम भरोसे छोड़ दिया गया है। जिस कारण अपेक्षित प्रगति नहीं हो रही है। बहरहाल केंद्र पोषित इस कार्यक्रम की धीमी प्रगति के कारण अगले वित्तीय वर्ष में राज्य को घाटा उठाना पड़ सकता है।