Thursday, 29 January 2009

जनरल ने गिनाईं जरूरतें, वित्त आयोग ने दी नसीहत

29 jan-नसीहत देहरादून, : मुख्यमंत्री मेजर जनरल (से.नि.) भुवन चंद्र खंडूड़ी ने 13वें वित्त आयोग को देवभूमि की तमाम जरूरतें गिनाईं। आयोग अध्यक्ष ने कुछ मामलों में राज्य सरकार की प्रशंसा की तो कई मामलों में नसीहत भी दी। आयोग अध्यक्ष विजय एल.केलकर व अन्य सदस्यों के सामने राज्य की जरूरतों पर चर्चा करते हुए जनरल ने कहा कि गठन के वक्त उत्तराखंड को 2642 करोड़ का कर्ज मिला था। विशेष राज्य का दर्जा, विषम भौगोलिक हालात और खराब आर्थिकी के बाद भी 12वें वित्त आयोग से सूबे को नान प्लान राजस्व घाटे के लिए महज 17 करोड़ ही मिले। अवस्थापना सुविधाओं के लिए राज्य को कोई धन नहीं मिला। ऐसे में जरूरी विकास को ऋण लेना पड़ा। महिला, बच्चों का स्वास्थ्य, साक्षरता और पलायन यहां की बड़ी समस्याएं हैं। राज्य में रेलवे का नेटवर्क बेहद कम है। ऐसे में हर काम में यातायात पर ज्यादा धन खर्च हो रहा है। कोशिशों के बाद विशेष दर्जा वाले राज्यों की तुलना में राजस्व इस राज्य में बढ़ा है पर वैट की वजह से आगे दिक्कत होगी। साथ ही पावर और जंगल से मिलने वाला राजस्व भी कम हो रहा है। यह राज्य भूकंप के लिहाज से तो संवेदनशील है ही, भूकटाव और जंगलों की आग भी बड़ी समस्याएं हैं। यहां चार धाम के साथ ही ऐतिहासिक स्थल भी हैं। तीर्थयात्रियों की सुविधा के साथ ही ईको टूरिज्म पर भी खासा धन व्यय होता है। वित्त आयोग अध्यक्ष विजय एल. केलकर ने कहा कि साक्षरता के क्षेत्र में राज्य ही प्रगति बेहतर है पर बीपीएल परिवारों की संख्या और महिलाओं में एनीमिया की बीमारी चिंता का विषय है।