Wednesday, 28 January 2009

देवस्थल में दूरबीन स्थापित करने का रास्ता साफ

28 jan- नैनीताल: एरीज द्वारा देवस्थल में लगने जा रही 3.6 मीटर व्यास की दूरबीन तारों के वर्णक्रम के अध्ययन के लिए देश की सबसे बढ़ी अत्याधुनिक दूरबीन होगी। बेल्जियम व आस्ट्रेलिया समेत भारत के वैज्ञानिकों की अंतर्राष्ट्रीय समिति ने दूरबीन का डिजाइन पास कर दिया है। दूरबीन तैयार करने का कार्य बेल्जियम में चल रहा है। दूरबीन स्थापित करने का निर्माण कार्य की देखरेख कर रहे आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के खगोल वैज्ञानिक डा.बीबी सनवाल के अनुसार हमारी आकाश गंगा मिल्की-वे के अलावा वाह्य आकाश गंगा के सूक्ष्म अध्ययन के लिए यह दूरबीन बेहद महत्वपूर्ण है जो देश में अभी तक अपने तरह की सबसे बड़ी दूरबीन होगी। तकनीक के लिहाज से भी देश की पहली दूरबीन होगी। इस दूरबीन के निर्माण में 120 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जबकि बेल्जियम सरकार भी इस पर दो मिलियन यूरो खर्च कर रही है। दूरबीन का निर्माण कार्य बेल्जियम में चल रहा है। इसके लैंस का निर्माण कार्य मास्को में किया जा रहा है। दूरबीन का डिजाइन अंतर्राष्ट्रीय समिति ने पिछले दिनों पास कर दिया है। डिजायन पास करने वाली समिति में बेल्जियम के 9, आस्ट्रेलिया के एक, भारत के सात वैज्ञानिक शामिल थे। डा.सनवाल ने बताया कि मास्को की एलजोज नामक कम्पनी मिरर बनाने का कार्य कर रही है। दूरबीन स्थापित किए जाने के लिए पिछले काफी समय से कार्य किया जा रहा है। खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण देवस्थल नामक क्षेत्र में यह दूरबीन लगाई जानी है। यहां इसके लिए बुनियादी ढांचे का कार्य जोरों पर चल रहा है। विद्युतीकरण का कार्य पूरा हो चुका है। दूरबीन के निर्माण के लिए तकनीकी विशेषज्ञों समेत वैज्ञानिकों की पूरी टीम जुटी हुई है। वर्ष 2012 में दूरबीन पूर्ण से स्थापित की जा सकेगी।