Wednesday, 7 January 2009

दिल्ली मे मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी

7 jan -मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी ने पहाड़ी राज्यों के लिए अलग सुरक्षा बल बनाए जाने की पैरवी की है। उन्होंने राष्ट्रीय जांच एजेंसी के प्रारूप पर कहा कि इससे पुलिस के अधिकारों का अतिक्रमण ही नहीं होगा, बल्कि संस्था के केंद्र सरकार के अंग के रूप में कार्य करने से इसके राजनीतिक दुरुपयोग की अधिक संभावना रहेगी। आंतरिक सुरक्षा पर नई दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री बीसी खंडूड़ी ने राज्य की चिंताओं व जरूरतों को बखूबी प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि पर्वतीय राज्यों के लिए अलग सुरक्षा बल की आवश्यकता है। सीमा पार से घुसपैठ व जाली नोटों की तस्करी को रोकने के लिए पर्वतीय सुरक्षा बल का गठन किया जाना चाहिए। इसके लिए केंद्र सरकार के स्तर पर शत-प्रतिशत सहायता दी जाए। उत्तराखंड के लिए यह अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि राज्य की 275 किलोमीटर सीमा नेपाल तथा 300 किलोमीटर की सीमा चीन से लगी है। दूसरे देशों की सीमा से सटे राज्यों में सामरिक महत्व को देखते हुए सड़कों का निर्माण तथा वन भूमि हस्तांतरण समेत अन्य मसलों के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाना चाहिए। केंद्र व राज्यों के मध्य खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए संस्थात्मक तंत्र की आवश्यकता भी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए एक योजना केंद्र सरकार को भेजी गई है, लेकिन इस पर अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है। पुलिस आधुनिकीकरण की धनराशि में भी कटौती कर दी गई है। राज्य में माओवादी गतिविधियों पर अंकुश के लिए विकास योजनाओं का लाभ निचले स्तर तक पहुंचाया जा रहा है। कमांडो टीम के गठन का वित्तीय बोझ उठाने की स्थिति में सरकार नहीं है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि इसमें पुलिस अधिकारी के समक्ष दिए साक्ष्य को अमान्य किया गया है। इससे आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में बाधा उत्पन्न होगी। उन्होंने एजेंसी के प्रारूप को प्रजातांत्रिक व संघीय प्रणाली के खिलाफ बताया।

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