Monday, 19 January 2009
वनगुज्जर गए तो बसा बाघों का बसेरा
देहरादून, राजाजी नेशनल पार्क से वनगुज्जरों का विस्थापन बाघों को रास आ रहा है। प्रदेश के वन विभाग को पिछले तीन महीनों में राजाजी पार्क के पश्चिमी भाग में उन 18 स्थानों पर बाघों की आवाजाही के चिह्न मिले हैं, जो पहले वनगुज्जरों से आबाद थे। वहां पहले कभी बाघों की आवाजाही के संकेत नहींमिले थे और माना जाता था कि यहां बाघ नहींहैं। प्रदेश के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक श्रीकांत चंदोला का कहना है कि राजाजी पार्क में हाथियों के संरक्षण के लिए तो प्रयास जारी हैं ही, राजाजी पार्क प्रशासन बाघों के प्रति भी गंभीर है। उसकी कोशिश है कि राजाजी पार्क को देश के बाघ मानचित्र में महत्वपूर्ण स्थान दिलाया जाए। पार्क प्रशासन का कहना है कि राजाजी पार्क के पश्चिमी क्षेत्र में बाघों का दिखना पार्क क्षेत्र के धौलखंड, चिल्लावाली और रामगढ़ क्षेत्र से वन गुज्जरों को खदेड़ने का ही नतीजा है। वनगुज्जर पुनर्वास योजना के प्रभारी वार्डन प्रदीप कुमार का कहना है कि वन गुज्जरों के हटने से ही बाघों के दिखने की घटनाएं बढ़ी हैं। पार्क प्रशासन का कहना है कि बाघों की रिहाइशें चिह्नित करने के दौरान इन क्षेत्रों में वन रक्षकों को बाघों के पंजों के निशान मिले हैं। मालूम हो कि पिछले साल राजाजी पार्क की रजत जयंती समारोह के अवसर पर वन विभाग अधिकारियों ने कहा था कि राजाजी पार्क के पूर्वी भाग में बाघों की रिहाइश है और वहां बाघों के शिशु शावकों के होने की सूचना मिली है। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया था कि राजाजी पार्क के पश्चिमी क्षेत्र में बाघ नहीं हैं। मालूम हो कि राजाजी पार्क प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष का सबसे चर्चित क्षेत्र है। हाथियों का इंसानी बस्तियों में हमला आम बात है। वन गुज्जर जहां अपने वनाधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं वन्यजीव संरक्षण के नाम पर उन्हें वहां से विस्थापित किया जा रहा है। वन अधिकारी भी मानते हैं कि वन गुज्जर पुनर्वास पैकेज के प्रति बहुत उत्साह नहीं दिखाते। राजाजी पार्क में वन्यजीव संरक्षण के लिए इसकी तीन रेंजों को कोर जोन घोषित किया गया है, जहां किसी भी तरह की मानव गतिविधियां प्रतिबंधित है। मजेदार बात यह है कि 2004 में वन विभाग के सर्वेक्षण में राजाजी पार्क में बाघों की तादाद 24 बताई गई थी, मगर भारतीय वन्यजीव संस्थान के पिछले साल की बाघ गणना रिपोर्ट ने इस दावे की धज्जियां उड़ा दी थीं। उसके मुताबिक राजाजी पार्क में 11 से 17 यानी औसत 14 बाघ हैं। रिपोर्ट में राजाजी पार्क में मौजूद वन गुज्जरों को पार्क की सेहत के लिए ठीक नहींबताया गया था। वनाधिकारियों का दावा है कि गुज्जरों का पुनर्वास हो जाए तो एक दिन राजाजी पार्क महज हाथियों के लिए ही नहीं,बल्कि बाघों के लिए भी पहचाना जाएगा।
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