Friday, 9 January 2009

वन माफियाओं की गिरफ्त में तराई

9,jan09-हल्द्वानी तराई धीरे-धीरे वन माफियाओं की गिरफ्त में पहंुचती जा रही है। जंगलों अमूल्य धरोहर इन माफियाओं ने ठिकाने लगा दी है। इस सच्चाई को खुद तराई केंद्रीय वन प्रभाग की रिपोर्ट बयां कर रही है। माफियाओं से निपटने के लिए उत्तराखंड वन विभाग ने अब पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से संपर्क साधा है। तराई केंद्रीय वन प्रभाग में मुख्य रुप से हल्द्वानी,रुद्रपुर, बाजपुर, बरहैनी, कालाढंुगी का वन क्षेत्र पड़ता है। चूंकि इनकी जंगलों की सीमाएं उत्तर प्रदेश के जंगलों से सटी हुई हैं। जिससे बाहरी राज्यों के वन तस्कर भी उत्तराखण्ड की वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। सरकारी रिपोर्ट पर नजर डालें तो वर्ष 2008-09 में लकड़ी चोरी के आंकड़े तो मात्र चार लाख की लकड़ी चोरी को दर्शा रहे हैं। लेकिन लकड़ी चोरी के तमाम ऐसे मामले हैं जो विभाग की नजर में नहीं आ पा रहे हैं। इस तरह करोड़ों की लकड़ी को ये माफिया ठिकाने लगा रहे हैं। इस वर्ष जनवरी से दिसंबर तक लकड़ी चोरी के 149 मामले दर्ज किये गये। इनमें चार लाख से ज्यादा की कीमत की लकड़ी काटी जा चुकी है। जबकि वर्ष 2007-08 में लकड़ी चोरी के 212 मामले दर्ज किये गये। जिनमें पांच लाख सैंतीस हजार कीमत के 230 पेड़ काटे गये।

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