Saturday, 14 February 2009

उत्तराखंड की जातियों का मूल चलेगा पता

देहरादून, उत्तराखंड में लोग कहां से आए, उनका मूल क्या है, यह जानना अब आसान हो जाएगा। कौलागढ़ रोड स्थित भारतीय मानव सर्वेक्षण (एएसआई) की डीएनए लैब में अत्याधुनिक उपकरण लग जाएंगे। इनके जरिए प्रदेश की विभिन्न जातियों, जनजातियों का जेनेटिक इतिहास जानना आसान हो जाएगा। प्रदेश में राजी, भोटिया, थारू, बोक्सा, जौनसारी जनजातियां रहती हैं। यहां के सवर्णो का मानना है कि उनमें अधिकतर के पूर्वज देश के किसी अन्य भाग से यहां आकर बसे हैं। बहुत से लोग तो खुद को पहाड़ की खस जाति से अलग मानते हैं। डीएनए लैब व विजुअल में लगने वाले जेल डॉक्यूमेंटेशन सिस्टम और यूवी वीआईएस स्पेक्ट्रोमीटर उपकरणों से सभी जातियों, जनजातियों का डीएनए मिलान आसान हो जाएगा। जेल डॉक्यूमेंटेशन सिस्टम से प्रोटीनों का विजुअल डॉक्यूमेंटेशन किया जाता है, जबकि स्पेक्ट्रोमीटर से प्रोटीन की शुद्धता की जांच की जाती है। जेल डॉक्यूमेंटेशन सिस्टम व स्पेक्ट्रोमीटर से यह भी पता चल सकेगा कि कौन-कौन सी जातियों में कौन सी जातियों का रक्त मिश्रित हुआ है और वह मूल रूप से किस मानव जाति से संबंधित हैं। एएसआई के विभागाध्यक्ष डॉ. एनएनएच रिजवी ने बताया कि डीएनए लैब को पूरी तौैर पर काम करने लायक बनने में अभी समय लगेगा। कोलकाता मुख्यालय ने लैब के लिए 10 उपकरणों की स्वीकृति दे दी है। लैब में लगभग दो दर्जन उपकरण लगने हैं। अत्याधुनिक लैब बन जाने से उत्तराखंड ही नहीं, एएसआई के नार्दन सर्किल के अंतर्गत आने वाले जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़, हिमाचल, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश का आधुनिक जेनेटिक विश्लेषण तकनीक के जरिए मानवशास्त्रीय अध्ययन भी आसान हो जाएगा।

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