Thursday, 26 February 2009

विधायकों में सूचनाएं लगाने की होड़अधिकांश के हाथ निराशा

देहरादून। विधायकों में सूचनाएं मंजूर कराने के लिए जबरदस्त होड़ रहती है लेकिन सदन में कम ही सदस्यों के चेहरे पर इसके मंजूर होने के चलते दिखने वाली चमक रोशन होती है।सूचनाएं न लग पाने की सूरत में वे पत्रकारों को इसकी प्रति सौंप कर खुद को तसल्ली देते हैं। आज भी कांग्रेस के जोत सिंह गुनसोला की मसूरी की कानून व्यवस्था, कांग्रेस के ही मनोज तिवारी की कर्मचारी और शिक्षकों को छठे वेतन आयोग की की सिफारिशों का लाभ न मिलने, रंजीत रावत, गोविंद कुंजवाल, करन महरा और तिवारी की विधानसभा क्षेत्रों में शिलान्यास और लोकार्पण में उन्हें न बुलाए जाने की सूचनाएं खास नियमों में शामिल कराने की कोशिश नाकाम रही। अल्मोड़ा के रानीखेत शहर में संभ्रांत लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने के बाबत करन महरा की नियम-३१० में सूचना मंजूर होने की मांग भी ठुकरा दी गई। नेता विरोधी दल डा. हरक सिंह रावत ने एनटीटी प्रशिक्षित बेरोजगारों को प्राथमिक विद्यालयों में समायोजित करने, बसपा के नारायण पाल, सुरेंद्र राकेश, प्रेमानंद महाजन के लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रमों में विधायकों को न बुलाने, दिनेश पुर (ऊधम सिंह नगर) में एलपीजी गैस वितरण की व्यवस्था न होने पर महाजन की सूचना भी स्वीकार नहीं हुई। कुछ विधायक इन मामलों को बहुत महत्वपूर्ण और अविलंबनीय करार देकर नियम-३१० में चरचा की मांग कर रहे थे। हालांकि, उन्हें मन मसोस कर रहना पड़ा।

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