Wednesday, 25 February 2009

हिदायत: पिछले साल से छोटी न हो योजना

देहरादून वर्ष की वार्षिक योजना के आकार पर अब तक काफी कवायद हो चुकी है। नियोजन विभाग ने इसे 4285 करोड़ के स्तर पर लाने की कोशिश की है पर मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी इसे चालू वित्तीय वर्ष के स्तर से नीचे लाने को तैयार ही नहीं हो रहे हैं। सीएम योजना का आकार बढ़ाने के लिए बाजार से भी ऋण लेने को तैयार हैं। राज्य के विभिन्न विभागों के सचिवों और मुख्य सचिव की केंद्रीय योजना आयोग के अधिकारियों से दिल्ली में एक दौर की वार्ता हो चुकी है। इसमें नियोजन विभाग ने राज्य की संपूर्ण योजना का आकार 4285 करोड़ का पेश किया। मंदी के इस दौर में केंद्र सरकार ने राज्यों को बाजार से और अधिक ऋण लेने की छूट दी है। सीएम चाहते हैं कि योजना का आकार छोटा करना उचित नहीं होगा। इसे कम से कम वर्ष 08-09 के स्तर तक तो रखा जाना चाहिए। नियोजन विभाग के अधिकारी फिलहाल इसी कवायद में जुटे हैं। योजना के लिए संसाधनों की कमी की मुख्य वजह राज्य में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करना है। इसके बाद राज्य पर वेतन, भत्तों, पेंशन और एरियर के रूप में बहुत बड़ा भार पड़ा है। सिर्फ राज्य कर्मियों के वेतन मद पर अब तक की मंजूरी से 1700 करोड़ से अधिक का भार पड़ा है। आगे उन्हें दी जाने वाली और सुविधाओं से संसाधनों में और कटौती तय है। इसके अलावा पेंशन और एरियर भुगतान का भार में राज्य के विकास पर ही पड़ने वाला है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री इस बात से कतई सहमत नहीं हैं कि इन कारणों से विकास योजनाओं पर कैंची चलाई जाए। श्री खंडूड़ी योजना के आकार को किसी भी सूरत में छोटा करने के पक्षधर नहीं हैं। उनका मत है कि यदि योजना का आकार बढ़ाया नहीं जा सकता है, तो घटाया भी न जाए। सूबे की योजना के आकार पर एक कवायद पूरी हो जाने के बाद अब उसे अंतिम रूप दिया जाना है। फिर सीएम की योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया से होने वाली बैठक में इस अंतिम रूप दिया जाएगा। इस बैठक की अभी तारीख तय नहीं हुई है।

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