Thursday, 26 February 2009
मदरसों में भी संस्कृत के श्लोक गूंजेंगे।
२६,२,९
हल्द्वानी।
सरकार की कवायद रंग लाई तो मदरसों में भी संस्कृत के श्लोक गूंजेंगे। इसके अलावा दुनियावी, दीनी और व्यावसायिक शिक्षा के लिए भी बच्चों को भटकना नहीं पड़ेगा। मदरसों में इन सभी पाठ्यक्रमों के अलावा हिंदी, साइंस, भूगोल, इतिहास विषय की पढ़ाई के साथ ही अंग्रेजी, उर्दू, फारसी भाषा में भी विद्यार्थियों को पारंगत बनाया जाएगा।योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए उ8ाराखंड मदरसा बोर्ड के गठन की कवायद तेज कर दी गई है। मदरसों में उपल4ध संसाधनों और आवश्यकताओं की रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। समाज कल्याण विभाग के निदेशक आरसी पंत बताते हैं कि बोर्ड के गठन का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है। विभाग को सरकार की हरी झांडी का इंतजार है। प्रस्ताव में सभी मदरसों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने की योजना है। व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर खास जोर दिया गया है। पाठ्यक्रमों से संबंधित हर सुविधा मदरसों में उपल4ध होगी। रखरखाव के लिए जहां विशेष प्रावधान किया गया है वहीं यहां तैनात शिक्षकों को भी शासन के मानकों के मुताबिक वेतन देय होगा।
बताते चलें कि राज्य में उ8ाराखंड मदरसा बोर्ड के गठन की लंबे समय से मांग उठाई जाती रही है। सरकारी स्तर पर इस दिशा में प्रयास भी हुए लेकिन तमाम पेंच होने से इसका गठन नहीं किया जा सका। अब नए सिरे से बोर्ड के गठन का प्रस्ताव तैयार किया गया है। मुसलिम समाज का स्तर उठाने और उसे राष्ट्र की मु2य धारा में जोडऩे के उद्देश्य से मदरसों में संचालित होने वाले पाठ्यक्रमों में बदलाव का फैसला लिया गया है। इधर, मुसलिम एजूकेशन मिशन के सचिव एनके शर्मा बताते हैं कि मदरसा बोर्ड का गठन नहीं होने से बोर्ड परीक्षाएं गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी उ8ार प्रदेश द्वारा ही संचालित कराई जाएंगी।
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