Monday, 23 February 2009
जंगलों में मानव, आबादी में वन्यजीव
हल्द्वानी जंगलों में मानव का हस्तक्षेप बढ़ा तो वन्य जीवों ने आबादी क्षेत्र की ओर रुख करना शुरू कर दिया। नतीजतन जंगली जानवर मनुष्यों को ही अपना निवाला बनाने लगे। इन दिनों गुलदार, तेंदुए और बाघों का आतंक चरम पर है। इस वर्ष डेढ़ माह में ही दर्जनभर बच्चों को जंगली जानवर अपना निवाला बना चुके हैं। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद तेजी से विकास हुआ, पर विकास की यही धारा मनुष्यों के लिए नुकसान का सबब भी बन रही है। जंगलों को बेतहाशा काटा जा रहा है। इससे न सिर्फ पर्यावरण असंतुलन की स्थिति पैदा हो रही है, बल्कि वन्य जीवों के कारीडोर भी खत्म होते जा रहे हैं। साथ ही जंगलों में जानवरों के भोजन के साधन भी घट रहे हैं। इसके चलते वन्य जीवों का रुख आबादी क्षेत्र की ओर बढ़ गया है। मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य गठन के बाद से अब तक करीब तीन सौ लोग वन्य जीवों के हमले में जान गंवा चुके हैं, जबकि साढ़े सात सौ से अधिक घायल हुए हैं। इनमें गुलदार और बाघ ने करीब दौ सौ लोगों को अपना निवाला बनाया, जबकि हाथियों ने 72 को मौत के घाट उतार दिया। भालू के हमले का शिकार हुए लोगों की संख्या भी कम नहीं हैं। इनमें से 11 लोगों की मौत हुई, जबकि 357 लोग घायल हो गए। वर्ष-09 में तो जैसे वन्य जीवों के हमलों की बाढ़ ही आ गई है। मात्र डेढ़ माह के अंतराल में ही आधा दर्जन से अधिक बच्चे बाघ, गुलदार व तेंदुए का शिकार हो गए। 20 जनवरी को गैरसैंण के स्योंणी तल्ली में पांच वर्षीय बालिका को तेंदुआ उठा ले गया। उसका क्षत-विक्षत शव जंगल में पड़ा मिला। 23 जनवरी को बागेश्र्वर के खोलिया गांव में 11 वर्षीय बच्ची गुलदार का निवाला बनी। इसके बाद 5 फरवरी को चौखुटिया (अल्मोड़ा) के मालूधार में तीन वर्षीय बालक को गुलदार ने निशाना बनाया, जबकि छह फरवरी को गैरसैंण के चलकुंडा गांव में सात वर्षीय बालिका को मार डाला। 11 फरवरी को चौखुटिया की ही ग्राम पंचायत मल्ला ताजपुर के कफलिया में 7 वर्षीय बालिका, 13 फरवरी को बागेश्र्वर के खोलियागांव में नौ वर्षीय बालिका व 15 फरवरी को चौखुटिया के सेमलखेत में 5 वर्षीय बच्चा आदमखोर का शिकार बना। साथ ही 5 फरवरी को अल्मोड़ा के ही जैंती में भालू ने हमला बोल दिया, जिसमें तीन महिलाएं जख्मी हो गई। ग्रामीणों की मांग पर गुलदार को आदमखोर घोषित किया गया जिसे 20 फरवरी को गैरसैंण विकासखंड में शिकारी दल ने मार गिराया। हाल ही में रामनगर में बाघ ने एक महिला को अपना निशाना बनाया जबकि दो महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गई। इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए वन अधिकारियों ने बाघ को पिंजड़ा लगाकर कैद कर लिया और नैनीताल चिडि़याघर पहुंचाया।
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