Friday, 27 February 2009

बच्चे भी खोए और मुआवजा भी नहीं मिला

Feb 26, 02:03 am रुद्रप्रयाग। जिले में रुद्रप्रयाग व जखोली क्षेत्रांतर्गत अब तक बाघ के हमलों में मारे गए लोगो के आश्रित और घायल हुए अधिकतर पीड़ित मुआवजे की बांट जोह रहे हैं। मुआवजे के लिए विभाग के चक्कर काटकर इन पीड़ितों की हिम्मत जबाव देने लगी है। तहसील रुद्रप्रयाग व जखोली के अंतर्गत विगत कई वर्षो से जिले में बाघ का आतंक अत्यधिक देखने को मिल रहा है। दर्जनों लोग नरभक्षी बाघ के शिकार बन चुके हैं, तथा कई जानलेवा हमले में बुरी तरह घायल हुए हैं। पीड़ित वन विभाग के चक्कर काटते काटते थक चुके हैं, लेकिन मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। वर्ष 2007 सितंबर माह में तहसील जखोली के अंतर्गत कुन्याल गांव निवासी गोविंद सिंह की पुत्री ऊर्जा को गुलदार ने निवाला बना लिया था, इसी वर्ष जुलाई माह में तहसील के अंतर्गत ही चौंरा निवासी जर्नादन प्रसाद के पुत्र सोनू को भी बाघ ने अपना शिकार बनाया, लेकिन अभी तक पीड़ित परिवारों को मुआवजा नहीं मिल पाया है। वहीं जिले के ग्राम सभा चामक की रेखा, सिरई की सोनम, जखोली अनिल सिंह, सिलगढं क्षेत्र अरविंद सिंह व कलम सिंह भी गुलदार के हमले में बुरी तरह घायल हुए इनको भी वन विभाग से मुआवजे के नाम पर कुछ नहीं मिला। जिससे चलते पीड़ितों में भारी रोष व्याप्त है। उनका आरोप है कि कई बार विभागीय कार्यालय में मुआवजे को लेकर चक्कर काट चुके हैं, लेकिन हमेशा खाली हाथ ही लौटना पड़ा है। वहीं इस संबंध में प्रभागीय वनाधिकारी सुरेन्द्र मेहरा का कहना है कि पूर्व में अवमुक्त मुआवजे की राशि ढाई लाख रुपये वितरित की जा चुकी है। अन्य प्रभावितों को मुआवजा देने के लिए शासन से दस लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है।

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