Thursday, 26 February 2009
निगम को घाटे से उबारना मुख्य लक्ष्य
, देहरादून ऊर्जा निगम के नए प्रबंध निदेशक जगमोहन लाल का कहना है कि निगम को करीब 500 करोड़ रुपये के वित्तीय घाटे से उबारना उनका प्रमुख लक्ष्य है। इसके लिए उन्होंने पुराने एरियर की वसूली व लाइन लॉस घटाने की एक ठोस कार्ययोजना तैयार की है। सबकुछ योजना के मुताबिक चला, तो ऊर्जा निगम को दो वर्ष के भीतर ही वित्तीय घाटे से छुटकारा मिल सकेगा। बिजली चोरी करने वालों के खिलाफ जहां बेहद सख्ती से निपटा जाएगा, वहीं उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता वाली बिजली उपलब्ध कराना उनकी प्राथमिकता होगी। ऊर्जा क्षेत्र में 37 वर्षो की सेवाएं दे चुके जगमोहन लाल को उत्तराखंड पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक का दायित्व सौंपा गया है। जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि नई जिम्मेदारी मिलने के साथ ही उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां भी खड़ी हैं। सबसे बड़ी चुनौती है निगम की खराब माली हालत को सुधारना। गुजरे वित्त वर्ष में 500 करोड़ रु. से अधिक का वित्तीय घाटा चालू वित्त वर्ष के अंत तक 300 करोड़ तक सिमटने की उम्मीद है। इस घाटे के पीछे करीब 1300 करोड़ रुपये के एरियर (बकाएदारी) व 42 फीसदी एग्रीग्रेटेड टेक्निकल एंड कामर्शियल लॉस (लाइन लॉस) प्रमुख कारक हैं। राजस्व वसूली को सख्त कदम उठाते हुए अस्थाई व सरकारी कनेक्शनों के लिए प्री-पेड मीटर की व्यवस्था की जाएगी। एनर्जी एकाउंटिंग, हाई-वोल्टेज डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम, ऑटोमेटिक मीटर रीडिंग जैसे तकनीकी उपायों के जरिए हर साल 5 फीसदी लाइन लॉस घटाने का लक्ष्य तय किया जाएगा। इस लक्ष्य की पूर्ति से ही आर-एपीडीआरपी के तहत केंद्र से मिलने वाले ऋण को अनुदान में बदला जा सकेगा। चूंकि वर्ष 2010 में औद्योगिक पैकेज खत्म होने से पिछले वर्षो की तुलना में अब बिजली की खपत में ज्यादा वृद्धि होने की उम्मीद नहीं है, लिहाजा मौजूदा वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने पर ज्यादा फोकस रहेगा। मंहगी बिजली खरीद (पावर-परचेज) के बजाए एनर्जी बैंकिंग के ठोस इंतजाम पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सूबे में 10 फीसदी बिजली चोरी में खर्च हो रही है। लिहाजा, बिजली चोरी पर अंकुश लगाने को सख्त कदम उठाए जाएंगे। विद्युत वितरण प्रणाली को चुस्त-दुरूस्त बनाने के लिए जेई-एई समेत अन्य रिक्त पदों पर जल्द नियुक्तियां की जाएंगी।
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