Monday, 16 February 2009

शंकर बाबा बने ज्योतिर्मठ के दंडी स्वामी

हल्द्वानी: देश के प्रसिद्ध चार मठों में से एक ज्योतिर्मठ में 265 वर्ष बाद नई परंपरा की शुरुआत हुई है। ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने तीन गिरीनामा के संन्यासियों को दंडी स्वामी बनाया है। इसमें सिद्धेश्वर महादेव मंदिर नान्तिन बाबा आश्रम हल्द्वानी के शंकर बाबा भी शामिल हैं। निलियम कालोनी स्थित नान्तिन बाबा आश्रम के शंकर बाबा अब दंडी स्वामी के रूप में शंकरानंद गिरी के नाम से जाने जायेंगे। इसके अलावा जूना अखाड़ा के पूर्व सचिव योगेश्वरानंद गिरी और ब्रहानंद को भी दंड धारण कराया गया है। ज्योतिर्मठ से शनिवार की रात लौटे शंकरानंद गिरी ने जागरण को बताया कि आदि शंकराचार्य ने भारत के उत्तर में ज्योतिर्मठ, पूरब में गोवर्धन मठ, दक्षिण में श्रेयंगेरी मठ व पश्चिम में शारदा मठ की स्थापना की थी। इसमें उनके चार शिष्यों में सबसे बड़े शिष्य त्रोटकाचार्य थे। इन्ही की अध्यक्षता में दसनामी संन्यासी बनाये गये। उन्होंने बताया कि 200 वर्ष पहले ज्योतिर्मठ में गिरी संन्यासी ही शंकराचार्य होते थे। 100 वर्षो तक ऐसी ही व्यवस्था चलती रही। इसके बाद 165 वर्ष तक ज्योतिर्मठ की गद्दी बिना शंकराचार्य के चलती रही। गिरीनामा में इस पद के योग्य न मिलने पर जूना अखाड़ा के दसनामी संन्यासियों ने श्रृंगी पीठ के सरस्वती नाम को इस गद्दी पर विराजमान कर दिया।

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