Wednesday, 18 February 2009
कुमाऊं मंडल की विधानसभा सीट रामनगर अब पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट का हिस्सा
18 feb-
देहरादून सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगता है मगर है यह बिल्कुल सच, अब पौड़ी (गढ़वाल) से दिल्ली तक का सफर तय करने के लिए वाया रामनगर (कुमाऊं) रूट लेना पड़ेगा। अलबत्ता, यह लांग रूट जन सामान्य के लिए नहीं बल्कि केवल उन्हीं के लिए है जो पार्लियामेंट तक पहंुचना चाहते हैं। दरअसल, लोकसभा व राज्य विधानसभा सीटों के नए परिसीमन से यह दिलचस्प स्थिति पैदा हुई है क्योंकि कुमाऊं मंडल की विधानसभा सीट रामनगर अब पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट का हिस्सा बन गई है। नौ नवंबर 2000 को अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में पहली बार सत्तर विधानसभा सीटों के निर्धारण के लिए परिसीमन हुआ था और लगभग छह साल के छोटे से वक्फे में एक दफा फिर उत्तराखंड को परिसीमन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। नतीजतन छह-साढ़े छह साल पहले जो लोकसभा व विधानसभा क्षेत्र बने, अब उनका नए सिरे से निर्धारण हो गया है। नवीनतम परिसीमन, जिसके आधार पर आगामी लोकसभा चुनाव होने हैं, में उत्तराखंड में लोकसभा व विधानसभा सीटों के गणित में खासा दिलचस्प बदलाव हो गया है, जबकि कई विसंगतियां अब खत्म हो गई हैं। यहां बात करें पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट की। राज्य के मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के परंपरागत चुनाव क्षेत्र के रूप में पहचान बनाने वाली इस सीट में भी अब राज्य की सभी अन्य चारों लोकसभा सीटों की तरह 14-14 विधानसभा सीटें हो गई हैं लेकिन मौजूदा व नए परिसीमन में यह फर्क आ गया है कि कई नई सीटें इसमें जुड़ गई हैं तो कई पुरानी सीटें अन्य में शिफ्ट हो गई हैं। इस लोकसभा सीट में लाजिमी तौर पर गढ़वाल मंडल के अंतर्गत आने वाले जिलों की 13 ही सीटें हैं, बस एक अपवाद है तो कुमाऊं मंडल के नैनीताल जिले की रामनगर सीट। अभी तक यह विधानसभा सीट नैनीताल लोकसभा सीट का ही हिस्सा थी। अब रामनगर सीट के पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट के अंतर्गत आ जाने से चुनावी प्रत्याशियों के समक्ष यह नई चुनौती आ गई है कि उनकी स्वीकार्यता गढ़वाल के साथ ही कुमाऊं मंडल में भी हो। अलबत्ता कुछ राहत की बात यह जरूर है कि रामनगर विधानसभा सीट गढ़वाल मंडल की सीमा से बिल्कुल सटी हुई है जिससे प्रत्याशियों को शायद ज्यादा दिक्कत पेश न आए। वैसे जिस तरह का दुरुह विषम भूगोल पहाड़ की लोकसभा सीटों का है, वह भी स्वयं में किसी चुनौती से कम नहीं। यानी कम से कम पौड़ी लोकसभा सीट के दावेदारों के लिए तो यह तय ही है कि उन्हें दिल्ली पहंुचने के लिए वाया रामनगर ही चलना होगा।
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