Monday, 2 February 2009
परचम लहरा सकते हैं मुक्केबाज, बशर्ते..
2 feb-देहरादून जगत बेलाल, कमला बिष्ट, प्रियंका रावत, विपिन कुमार कुछ ऐसे नाम हैं, जिन्होंने बाक्सिंग के क्षेत्र में उत्तराखंड को अलग पहचान दी है। इस फेहरिस्त में शामिल होने को पूजा रावत, रीना कुंवर, आशू जोशी, जगदीश कार्की, हिमांशु जैसे युवा मुक्केबाज भी तैयार हैं। दरकार है तो उच्च तकनीक के साथ-साथ बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने की। ऐसा हुआ तो अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर छाने की कुव्वत उत्तराखंड के मुक्केबाजों में है। सूबे का गठन हुए आठ साल हो गए। इस अवधि में जिन खेलों ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की है, मुक्केबाजी का नाम उनमें प्रमुखता से लिया जा सकता है। सूबे के मुक्केबाज निरंतर राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करते आ रहे हैं। जगत बेलाल जैसे युवा मुक्केबाज तो इन दिनों पटियाला में लगे प्रशिक्षण कैंप में कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारी में जुटे हैं। इसके बावजूद इन मुक्केबाजों को उचित सुविधाएं एवं प्रोत्साहन नहीं मिल पा रहा है। एसोसिएशन भी इसे लेकर गंभीर नजर नहीं आती। काशीपुर, कोटद्वार और देहरादून स्थित स्पोर्ट्स कालेज को छोड़ दें, तो कहीं भी इंडोर बॉक्सिंग रिंग की व्यवस्था नहीं है। इसके चलते मुक्केबाजों को आउटडोर रिंग में प्रशिक्षण लेना पड़ रहा है, जिसे बेहतरीन फुटवर्क बनाने में सहायक नहीं माना जा सकता। यही नहीं, शासन का रवैया भी इस खेल को प्रोत्साहन देने के प्रति गंभीर नजर नहीं आता। अन्य राज्यों के मुकाबले सूबे में पदक जीतने वाले खिलाडि़यों को प्रोत्साहन राशि तक नहीं दी जाती है। अन्य मदों से जो राशि मिलती भी है, वह भी ऊंट के मुंह में जीरा साबित होती है। ऐसे में खिलाडि़यों का आत्मविश्वास कैसे बढे़गा, यह सोचने का विषय है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर चुके बाक्सर जगत बेलाल का कहना है वर्तमान में प्रतिभाओं को निखारने के लिए सकारात्मक सोच की जरूरत है। साथ ही मूलभूत सुविधाओं में भी इजाफा करना होगा, तभी कुछ अच्छे की उम्मीद की जा सकती है। पूर्व अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाज पद्म बहादुर मल्ल का कहना है कि सूबे में कोचों की कमी है और एसोसिएशन भी खेल को प्रोत्साहित करती नजर नहीं आती। ऐसे में जो भी मुक्केबाज मेडल ला रहे हैं, वह उसकी खुद की काबिलियत व कड़ी मेहनत का नतीजा है। अच्छा होता कि खेल विभाग ऐसे खिलाडि़यों के सहयोग को आगे आता। जिला खेल कार्यालय में तैनात तदर्थ बाक्सिंग कोच दुर्गा थापा का कहना है कि एसोसिएशन को भी सुविधाएं जुटाने के लिए प्रयास करने चाहिए।