Sunday, 1 February 2009
भाजपा से दो हाथ के मूड में उक्रांद
, देहरादून भाजपा द्वारा कोई भाव न देने से सत्ता में भागीदार उक्रांद आहत महसूस कर रहा है। दल ने अब शिद्दत से लोकसभा चुनाव लड़ने को कमर कस ली है। इसके लिए भाजपा के नाराज नेताओं पर उक्रांद ने नजरें जमा दी हैं। उक्रांद इस समय टिहरी के प्रभावशाली भाजपा नेता के संपर्क में है। उक्रांद के पास लोकसभा चुनाव लड़ने लायक कद्दावर नेताओं की कमी है। अल्मोड़ा सीट के रिजर्व होने के कारण स्थिति और खराब हुई है। इसके बावजूद पहले बनाए जा चुके पैनल में से किसी एक को टिकट देने में अब अधिक देर भी नहीं लगने वाली है। टिहरी सीट उक्रांद की नजरों में सबसे ऊपर है। यह सीट उक्रांद ने समझौते में सबसे पहले मांगी थी। हालांकि पूर्व विधायक प्रीतम पंवार को उम्मीदवार घोषित करने के बाद उन्होंने निजी कारणों से चुनाव न लड़ने की घोषणा की है। उक्रांद की नजर भाजपा के एक प्रभावशाली पर पार्टी से नाराज नेता पर टिकी है। यदि रणनीति सफल रही तो भाजपा बड़ा नुकसान होना तय है। वैसे भी टिहरी से पिछले उपचुनाव में उक्रांद ने एक भाजपा के अनजान से नेता पर दांव खेला था और 80 हजार से अधिक वोट हासिल कर जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पहले कार्यकर्ताओं के प्रेशर और अब भाजपा के तव्वजों ने देने से आहत उक्रंाद नेतृत्व अब भाजपा को दिन में तारे दिखाने की रणनीति पर भी काम कर रहा है। पहले ही विधानसभा में तलवार की धार पर खड़ी भाजपा अपने एक विधायक को राज्यसभा भेज चुकी है। दो और विधायकों को लोक सभा टिकट देकर भाजपा इस समय खुद राजनीतिक दबाव में है। इस स्थिति में उक्रांद को बाहर का रास्ता दिखाने की पहल करने का साहस भी भाजपा शायद ही जुटा पाए। ऐसे में उक्रांद को आक्रामक रणनीति अपनाने से रोकने की स्थिति में भी भाजपा नहीं दिखाई दे रही है।