Sunday, 1 February 2009
पीपीपी मोड : पिछड़ा गया उत्तराखंड
1 feb-
देहरादून, : पीपीपी मोड में अधिकाधिक काम की केंद्र सरकार की हिदायत पर अमल में उत्तराखंड सबसे फिसड्डी साबित हुआ है। राज्य में अब तक इस मोड में सिर्फ एक प्रोजेक्ट पर ही काम पूरा हो सका है। अब वित्त विभाग ने सभी विभागों को इसमें तेजी लाकर वाइविलिटी गैपिंग फंड का लाभ उठाने के निर्देश दिए हैं। एक प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है, जबकि यूआईपीसी और यूडेक के बारह प्रोजेक्ट बिडिंग स्टेज तक ही पहुंच पाए हैं। राज्य में अब तक पीपीपी मोड में शहरी विकास विभाग का देहरादून में निर्मित एक मात्र प्रोजेक्ट आईएसबीटी है। पर्यटन विभाग की दून में एक पांच सितारा होटल निर्मित करने की योजना है पर प्रोजेक्ट अधर में ही है। इसके अतिरिक्त 410.62 करोड़ की लागत से यूआईपीसी के चार बिजली प्रोजेक्ट और 1009.80 करोड़ की लागत से यूडेक के आठ रोपवे प्रोजेक्ट अभी बिडिंग स्टेज तक ही पहुंचे हैं। खुद मुख्य सचिव ने सचिवों को भेजे पत्र में कहा कि एडीबी और केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जून 08 में हुई समीक्षा में उत्तराखंड देश के पंद्रह राज्यों में सबसे फिसड्डी रहा। अब प्रमुख सचिव (वित्त) ने सभी प्रमुख सचिवों तथा सचिवों से पीपीपी मोड में परियोजनाओं के विकास में रुचि लेने का आग्रह किया गया है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि विभाग के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार अभी राज्य के किसी भी विभाग ने केंद्र की वायबिल्टी गैप फंडिंग (वीजीएफ) योजना-05 तथा प्रोजेक्ट डेवलपमेंट फंड (पीडीएफ) का लाभ नहीं उठाया है। उत्तराखंड शासन ने भी दिसंबर में उत्तराखंड अवस्थापना व्यवहार्यता अनुदान योजना-08 लागू कर दी है। इसमें केंद्र की वीजीएफ योजना के साथ कार्य करने पर परियोजना लागत की बीस प्रतिशत धनराशि देने का प्रावधान है। उत्तराखंड ने पहली बार सामाजिक सेक्टरों के लिए भी वायबिल्टी गैप फंडिंग की सुविधा दी है। कुल परियोजना लागत का 33 प्रतिशत, अधिकतम दस करोड़ तथा पर्वतीय क्षेत्रों में कुल परियोजना लागत का 50 प्रतिशत और अधिकतम 15 करोड़ वायबिल्टी गैप फंडिंग के रूप में दिया जाएगा।