Sunday, 1 February 2009

रंगमंच पर जीवंत हुई पौराणिक लोक गाथाएँ

1 feb-अल्मोड़ा बाजारा हुड़की बाजी रे घमाघम.. रामनगर: राज्य स्तरीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता के तीसरे दिन कुमाऊंनी व गढ़वाली लोक नृत्यों की ऐसी धूम मची कि दर्शक भी झूम उठे। गायत्री कला संगम रामनगर के कलाकारों ने दिल्ली को बाजारा, लागि रैछि माया.. गीत पर शानदार नृत्य प्रस्तुत किया। हिमालय कला केन्द्र अल्मोड़ा के कलाकारों ने छपैली में अल्मोड़ा बाजारा हु़ड़की बाजी रे घमाघम.. की धुन पर नृत्य करते हुए दर्शकों को भी झूमने पर मजबूर कर दिया। रामनगर सांस्कृतिक कला मंच ने नारैणी मेरी माता हे गिरिजा.नृत्य के द्वारा दर्शकों का मन मोहा। संगीत विकास संस्थान रामनगर ने हिट मेरी रंगीली सुवा घुमी औला बाजारा..। देवभूमि मां शारदे अल्मोड़ा ने झोड़ा, छपैली, चांचरी में ओ बांजा झुप रायली बाजा-पाना-पनुली तिलै धारो बोला.नृत्य पर ऐसा समां बांधा कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। प्रयोगांक नैनीताल के कलाकारों ने नथुली तोला की हेग्या धनुली. पर दर्शकों को अंत तक बांधे रखा। शैलजा सामाजिक कला anch पौड़ी ने चक्रव्यूह में अभिमन्यु के जाने के नृत्य का शानदार अभिनय किया। देर रात नाटकों एवं लोकनृत्यों के परिणामों की घोषणा होगी। रामनगर: उत्तराखण्ड राज्य स्तरीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता की अंतिम शाम भी पूरी तरह उत्तराखंड की सभ्यता व संस्कृति के नाम रही। शनिवार को कलाकारों ने अपने अभिनय कला की ऐसी छाप छोड़ी कि पौराणिक गाथाएं रंगमंच पर सजीव हो उठी। अंतिम दिन की पहली प्रस्तुति में देहरादून के कलाकारों ने तेड़ी की तिलोगा और अमर देव सजवाण की पे्रम गाथा पर आधारित नाटिका का सफल मंचन किया। कलाकारों ने नाटक का सजीव मंचन करते हुए अभियन क्षमता की बानगी भी पेश की। नाटक में तंत्र मंत्र के अलावा छल प्रपंच से मानव हत्या और नायिका का क्रोध दर्शाने में पात्रों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। अरविंद नेगी का निर्देशन एवं बबीता शाह का गायन लोगों को पसंद आया। दूसरी प्रस्तुति में हिमालय लोक कला केन्द्र अल्मोड़ा के कलाकारों ने कुमाऊं के प्रसिद्ध न्याय प्रिय राजा हरुहीत की जीवन गाथा का मार्मिक दृश्य दर्शकों के समक्ष रखा। नाटिका का कथानक हरुहीत का न्यायप्रिय होना, हमदम दो भाईयों का युद्घ, गौरिया देव का न्याय, भोट से मालू को पाने के लिए संघर्ष की गाथा, भाभियों द्वारा मालू को छल-प्रपंच से मारे के दृश्य को जीवंत करने में कलाकार सफल रहे। गोकुल सिंह के निर्देशन में कलाकार खजान भट्ट, ज्योति राणा, मीनाक्षी जोशी आर्या अजय बिष्ट के अभिनय को सराहा गया। तीसरी प्रस्तुति में संगीत कला विकास समिति रामनगर ने नवीन बिष्ट द्वारा लिखित भुवन जोशी के मंच निर्देशन में कुमाऊं के न्याय प्रिय कृष्णा अवतारी ग्वेल जी के बचपन से सम्बन्धित नाटिका को बेहतर तरीके के साथ प्रस्तुत किया। नाटक में गणेश पंत, चंद्र कला शाह, रेखा करगेती, कमल शर्मा का अभिनय सराहनीय था। चौथी और अंतिम प्रस्तुति में शैलजा सामाजिक मंच पौड़ी के कलाकारों ने गढ़वाल में प्रसिद्ध भानु अमरा की प्रसिद्ध अमर प्रेम गाथा को उजागर किया। नाटक में अकाल, भुखमरी के दृश्यों को जहां मार्मिक रूप से दिखाया गया वहीं मुसीबत के समय भी भानु का अमरा के साथ पे्रम गाथा को कलाकारो ने संजीव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जितेन्द्र प्रसाद के निर्देशन में नीलम रावत, अर्जन भारती, राकेश गौरशाली, दीपक डोभाल, बबीता रावत व अश्मि रावत का अभिनय भी सराहा बया।