Wednesday, 4 February 2009
जमा पूंजी के सहारे जगमगाया उत्तराखंड
3 feb-
देहरादून, : वर्ष 2009 का पहला महीना ऊर्जा प्रदेश की बिजली व्यवस्था पर भारी गुजरा। नदियों के जलस्तर में गिरावट के चलते प्रदेश का विद्युत उत्पादन 8 से 10 मिलियन यूनिट के बीच में सिमटा रहा, जिसके चलते सूबे को बिजली किल्लत का सामना करना पड़ा। ऐसे में जनवरी के इस महीने में सूबे की बिजली व्यवस्था बैंकिंग व ओवर-ड्रा के सहारे चली। ऊर्जा निगम ने जहां अन्य राज्यों से बैंकिंग के जरिए 126 मियू बिजली ली, वहीं नार्दन ग्रिड से भी 15 मियू बिजली ओवर-ड्रा करनी पड़ी। दिसंबर की अपेक्षा जनवरी माह में प्रदेश के विद्युत उत्पादन में कुछ वृद्धि तो जरूर हुई, लेकिन सूबे को बिजली की किल्लत से निजात नहीं मिल पाई। जनवरी में प्रदेश का औसत उत्पादन करीब 9.5 मियू रहा। पूरे महीने के आंकड़ों पर नजर डालें, तो सूबे में बिजली की कुल डिमांड 710.9 मियू रही, जबकि बिजली की कुल उपलब्धता महज 565.8 ही रही। यानी, पूरे महीने सूबे को 145 मिलियन यूनिट बिजली की कमी से जूझना पड़ा। ऐसे हालात में विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए ऊर्जा निगम को रिटर्न बैंकिंग व ओवर-ड्रा का सहारा लेना पड़ा। जनवरी में पंजाब से 49.9 मियू, बीएसईएस से 28.83 मियू, हरियाणा से 13.23 मियू व गुजरात से 34.70 मियू बिजली की रिटर्न बैंकिंग की गई। कुल 126.67 मियू की रिटर्न बैंकिंग के बावजूद निगम को नार्दन ग्रिड से 15.83 मियू बिजली का ओवर-ड्रा भी करना पड़ा। लिहाजा फरवरी में निगम को कुछ और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।