Wednesday, 4 February 2009

इलाज को पैसा नहीं, स्कूल भी छूटा

, हल्द्वानी : पिता 15 वर्ष पहले गायब हो गये, जैसे-तैसे घर की गुजर-बसर हो रही है। लेकिन कुदरत ने अब आठवीं में पढ़ रहे घर के लाडले ललित को गंभीर बीमारी दे दी है। इससे उसकी पढ़ाई तो छूट ही गयी है। इलाज के लिए चाहिए मोटी रकम। अल्मोड़ा जनपद के ब्लाक धौलादेवी के ग्राम काफली निवासी नारायण सिंह के परिवार पर मानो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा हो। नारायण सिंह खुद तो 15 वर्ष पहले नौकरी की तलाश में घर से चले गए थे। तब से न तो कभी परिजनों से मिले और न ही बात हुई। उनके सबसे छोटे बेटे ललित बिष्ट को उसके बिठोरिया निवासी चाचा गुमान सिंह बिष्ट दो साल पहले अपने साथ ही ले आए। ताकि उसकी पढ़ाई लिखाई ठीक से करा सके। लेकिन नवंबर 2007 में ललित घर में ही सीढि़यों से गिर गया। जिससे उसके पैरों व कूल्हे में गंभीर चोट आ गई। उस समय ललित हिमालया सीनियर सेकेंडरी स्कूल आवास विकास में कक्षा आठ में पढ़ रहा था। लेकिन गंभीर चोट ने उसकी पढ़ाई में ही ग्रहण लगा दिया। साल भर तक सुशीला तिवारी अस्पताल में इलाज भी चला। दो आपरेशन भी कराए गए। लेकिन ठीक से इलाज न होने के चलते उसकी जांघ की हड्डी खराब हो गई। जिस पर यहां से चिकित्सकों उसे सफदरगंज अस्पताल दिल्ली ले जाने को कहा गया। वहां भी डाक्टरों ने कूल्हा प्रत्यारोपण (हिप रेप्लेसमेंट) को ही आखिरी बचाव बताया। जिस पर करीब डेढ़ से दो लाख का खर्च आना है। चाचा गुमान सिंह भी अब तक कराए गए इलाज में जमा पूंजी खर्च कर चुके हैं। डाक्टर भी कह चुके हैं जल्द ही कूल्हा न बदला गया तो पक्षाघात भी हो सकता है। ऐसे में अब उन्हें मासूम की शीघ्र सलामती की चिंता सता रही है। ऐसे में उन्होंने अब मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक व समाजसेवियों से मदद की गुहार लगाई है। ताकि मासूम का भविष्य इलाज के अभाव में अंधकारमय होने से बच जाए।