Thursday, 20 August 2009

सूबा बदला, सियासत बदली पर नहीं बदली सियासदां की सोच

-आज भी कालापानी मानकर जिले में भेजे जा रहे हैं दागी पुलिस कर्मी -दागी पुलिस कर्मियों की तैनाती बनी महकमे के लिए मुसीबत पिथौरागढ़: उत्तर प्रदेश में थे तो सीमांत जिला पिथौरागढ़ सरकारी कर्मचारियों के लिए कालापानी समझाा जाता था, खासकर पुलिस महकमे के दागी कर्मचारियों के लिए। अलग राज्य बना तो जिले के लोगों को लगा अब कालापानी का ठप्पा खत्म होगा, अच्छे कर्मचारी आयेेंगे, लेकिन अलग राज्य में भी सियासत करने वालों की सोच नहीं बदली, जिला आज भी कालापानी की श्रेणी में ही शामिल है। उत्तर प्रदेश में रहते हुए पिथौरागढ़ प्रदेश का सबसे सीमांत जिला था। सुविधाओं की कमी और उपरी कमाई की शून्य संभावनाओं को देखते हुए सियासदां की नजर में यह जिला कालापानी से कम नहीं था। मैदानी क्षेत्रों में गड़बड़ी करने वाले कर्मचारियों को तब इस जिले में पोस्टिंग देकर सजा देने की सोच हावी थी। नौकरशाह और राजनीतिज्ञ ट्रांसर्फर, पोस्टिंग में इसका खूब इस्तेमाल भी करते थे। सबसे अधिक दागी पुलिस कर्मी कहीं थे तो वह पिथौरागढ़ जिला ही था। शराबी दरोगा के डीएम कार्यालय में पहुंचकर गाली गलौच के आंकड़े दागी पुलिस कर्मियों की कहानी बयां करते हैं। अपना राज्य बना तो सीमांत जिले के लोगों को लगा अब जिले से कालापानी का ठप्पा हट जायेगा। अच्छे कर्मी यहां आयेंगे और दागी पुलिस कर्मियों द्वारा आम जनता के लिए पैदा की जाने वाली दिक्कतें नहीं रहेंगी,लेकिन राज्य गठन के बाद भी यह सोच नहीं बदली। सियासदां की नजर में जिला आज भी कालापानी ही है। इसलिए पुलिस महकमे में प्रदेश भर से छांट-छांट कर दागी पुलिस कर्मी पिथौरागढ़ भेजे जा रहे हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक हाल ही में जिले में 50 ऐसे कर्मचारी भेजे गये हैं, जिनका रिकार्ड कहीं न कहीं गड़बड़ है। इन कर्मचारियों द्वारा जिले में मचाये जा रहे उपद्रव किसी से छुपे नहीं हैं। जिले के पुलिस महकमे के लिए इन कर्मचारियों को खपाना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। महकमा भी इन्हें नगरों और मुख्य कस्बों में तैनाती देने के पक्ष में नहीं है। इनके लिए सुदूरवर्ती थाने और चौकियां तलाशी जा रही है। सुदूदवर्ती थानों और चौकियों में ये पुलिस कर्मी गड़बड़ी नहीं करेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है। अलग राज्य बनने के बाद भी जिले के लोगों की सुरक्षा का जिम्मा दागी पुलिस कर्मियों को ही सौंपा जाना है तो फिर अलग राज्य का औचित्य क्या है। यह सवाल जिले के लोग उठा रहे हैं। जिले में सजा के तौर पर भेजे जा रहे जनप्रतिनिधि भी खामोश हैं। डेढ़ वर्ष में 27 पुलिस कर्मी निलम्बित पिथौरागढ़: सीमांत जिले पिथौरागढ़ में डेढ़ वर्ष के दौरान 27 पुलिस कर्मी निलम्बित हो चुके हैं। इनमें अधिकांश पुलिस कर्मियों पर शराब पीकर उधम काटने, अनुशासनहीनता बरतने और उच्चाधिकारियों से अभद्रता के आरोप हैं। पुलिस अधीक्षक कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2008 में जिले में 16 पुलिस कर्मी निलम्बित हुए। इनमें 12 कांस्टेबल और 4 हेड कांस्टेबल हैं। वर्ष 2009 के पहले 6 माह में 11 पुलिस कर्मी निलम्बित हो चुके हैं, इनमें दो हेड कांस्टेबल और नौ कांस्टेबल हैं। पुलिस अधीक्षक पूरन सिंह रावत का कहना है अनुशासनहीनता बरतने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।

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