Thursday, 20 August 2009
-विलुप्त हो जाएंगे शंख बनाने वाले 'कीड़े'
-आधा दर्जन कीड़े शेड्यूल वन में हैं शामिल
-देश के धार्मिक स्थलों तक हो रही है तस्करी
-शंख को उबलते पानी में डालकर कीड़े को मार देते हैं तस्कर
हरिद्वार: समुद्र से शंख निकालने वाले तस्करों की वजह से दुर्लभ प्रजाति के करीब आधा दर्जन कीड़े विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गये हैं। हर मुमकिन कोशिश की जा रही है कि शंख निर्माण करने वाले कीड़ों को बचाया जा सके, लेकिन जिस तरह से समुद्रों पर तस्करों ने कब्जा जमा लिया है, ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब शंख का निर्माण करने वाले कीड़े ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे।
समुद्र में शंख का निर्माण करने वाले कीड़े मिलते हैं। इन शंखों के लिए ही चेन्नई, गोवा और केरल से लगते समुद्री क्षेत्रों पर तस्करों की नजर रहती है। ये कीड़े दरअसल समुद्र में धीरे-धीरे अपने शरीर पर मोटी परत चढ़ाते हुए शंख का निर्माण करते हैं। इन शंखों को तस्कर स्थानीय प्रशासन से सांठगांठ कर समुद्र के हिस्से में जाल फेंककर हजारों की तादाद में निकाल लेते हैं। इन्हें उबलते पानी से भरे कंटेनर में डाला जाता है, जिससे ये दुर्लभ कीड़े दम तोड़ देते हैं। इतने बड़े परिमाण में समुद्र से शंख निकाले जा रहे हैं कि इन कीड़ों के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है। मुख्यत: हार्न हेलमेट, ट्रेपेजियम कौच, आरथ्रेटिक स्पाइडर कौच, आरेंज स्पाइडर कौच और गोल्ड वैण्डेड कीड़े शंख निर्माण करते हैं। इनकी दुर्लभ प्रजाति के कारण ही इन्हें वन्य जीव अधिनियम के तहत शेड्यूल वन में शामिल किया गया है। शंख निर्माण करने वाले अन्य कीड़ों जिनमें पिजेन कौच, टाप शैल, स्पिरल ट्यूडिक, ट्रम्पट ट्राइट्रोन और वुल माउंड हेलमेट आदि शामिल हैं, को वन्य जीव अधिनियम के तहत शेड्यूल चार में शामिल किया गया है।
तस्कर शंखों को खौलते पानी में डालने के कुछ देर बाद निकाल लेते हैैं और इन्हें उत्तराखंड, यूपी, महाराष्ट्र सहित अन्य जगहों पर भेजते हैं। उत्तराखंड में हरिद्वार और ऋषिकेश, यूपी में वाराणसी, इलाहाबाद, वृंदावन, मथुरा तक ये दुर्लभ शंख बदस्तूर पहुंच रहे हैं। महाराष्ट्र की बात करें तो नासिक इन दुर्लभ शंखों की बिक्री का बड़ा गढ़ बना हुआ है। पिछले कुछ समय से दुर्लभ शंखों की तस्करी की तादाद इस कदर बढ़ी है कि समुद्र में मिलने वाले वे कीड़े जो शंख का निर्माण करते हैं, तेजी से विलुप्त हो रहे हैं।
धार्मिक स्थलों की लेते हैं आड़
हरिद्वार: पीपुल्स फार एनीमल (पीएफए) के वाइल्ड लाइफ अफसर सौरभ गुप्ता ने दिल्ली से जागरण को बताया कि उत्तराखंड, यूपी सरीखे देश के धार्मिक स्थलों पर साधु-संत और व्यापारी संगठनों की आड़ लेकर इन दुर्लभ शंखों को आसानी से बेचा जाता है। उन्होंने बताया कि दुर्लभ कीड़े समुद्र में अब विलुप्त होने की स्थिति में है। इन्हीं वजहों से शेड्यूल में इनको शामिल कर शंखों की तस्करी रोकने का प्रयास किया जा रहा है।
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