Saturday, 1 August 2009

कारगिल में होने वाले बीरो की याद में

शहीद की चिता मेरा कारगिल में शहीद होना व्यर्थ नही जाएगा मेरी एक एक लहू की बूंद तुझसे हिसाब लेगी ! तारीख गवाह है तू ---- अब अपना कितना भी बचाऊ कर तू, बचनेवाला नही .... क्यूंकि तुने ------- अपने सर कलम की तारीख स्व्यम लिख दी है ! मेरे देश का बच्चा २ हाथो में तिरंगा लेकर तेरे सर कलम करने को निकल पडा है ! याद रख ----------- जैसे जैसे मेरी चिता पर आग की लपटे उठेगी हजारो करोडो ह्रदय में भारत माता के लिए प्यार तेरे लिए नफरत पैदा होगी क्यूँ की --------- ये नफरत की आग तुने लगाई है इसे तो अब तेरे ही रक्त से बुझाना होगा ये तभी बुझेगी ! पराशर गौड़

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