Monday, 31 August 2009
:पार्वती हुईं 105 साल की
-बीमारी उनके करीब तक नहीं फटकी
-कभी नहीं देखा अस्पताल का दरवाजा
-56 पोते-पड़पोते वाली हैं पार्वती भट्ट
पिथौरागढ़: देश में औसत आयु 56 वर्ष है, इसके बावजूद कई लोग हैं जो बगैर किसी चिकित्सकीय मदद के शतायु पूरी कर रहे हैं। ऐसे ही लोगों में शुमार हैं सीमांत जिले के बिण गांव की पार्वती भट्ट। इन्होंने रविवार को 105वें वर्ष में प्रवेश कर लिया। प्रदेश के पेयजल मंत्री प्रकाश पंत ने घर पहुंचकर उनका हाल चाल जाना।
सत्तर-अस्सी वर्ष की उम्र में जहां लोगों के सुनने, देखने की क्षमता प्रभावित हो जाती है, वहीं पार्वती भट्ट की सुनने और देखने की क्षमता आज भी बरकरार है। अपनी दिनचर्या वे खुद ही पूरी कर लेती हैं, इसके लिए उन्हें किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती। नाती-पोतों से भरे पूरे परिवार में रह रहीं पार्वती ने आज तक जिला चिकित्सालय का दरवाजा नहीं देखा। उनकी इच्छा एक बार जिला चिकित्सालय देखने की है। बीमारी उनके करीब तक नहीं फटकी, इसलिए कभी अस्पताल जाने की उन्हें जरूरत ही महसूस नहीं हुई। स्वस्थ शतायु का राज वे संतुलित आहार और संयमित व्यवहार बताती हैं। खासकर शाकाहार ने उन्हें लम्बी उम्र बख्शी। अपने समय में आम गृहणियों की तरह वे घरेलू कामकाज भी निपटाती रही हैं। पार्वती भट्ट के तीन लड़के और तीन लड़कियोंं में दो की मृत्यु हो चुकी है। उनकी एक बहू भी अब इस दुनिया में नहीं है। पार्वती भट्ट के 56 पोते और पड़पोते हैं। उनकी सबसे छोटी साठ वर्षीय पुत्री कमला कलपासी बताती हैं कि वे हर रोज दो घंटे अपनी मां के साथ बिताती हैं। उनके पिता का निधन 58 वर्ष पूर्व तब हो गया था जब वे दो वर्ष की थीं। पिता सेना में तैनात थे, उनकी पेंशन आज भी पार्वती देवी को मिलती है।
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