Saturday, 22 August 2009

-उत्तराखंड बनाएगा किसाऊ परियोजना

डा. निशंक और धूमल के बीच हुई बातचीत में बनी सहमति दिल्ली को मिलेगा पीने का पानी, पांच राज्यों में हो सकेगी सिंचाई छह माह में बन सकेगी परियोजना की डीपीआर देहरादून, छह सौ मेगावाट क्षमता वाली किसाऊ बांध परियोजना के लिए उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के बीच सहमति बन गई है। शिमला में दोनों प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई उच्च स्तरीय बैठक में तय किया गया कि इस परियोजना का निर्माण उत्तराखंड जल विद्युत निगम करेगा। इस परियोजना से पांच राज्यों को सिंचाई के लिए और दिल्ली को पीने का पानी मिलेगा। शिमला में भाजपा की चिंतन बैठक के बाद उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों डा.रमेश पोखरियाल निशंक और प्रेम कुमार धूमल के बीच 600 मेगावाट की किसाऊ परियोजना पर गंभीर मंथन किया गया। बैठक में उत्तराखंड सरकार के ऊर्जा सलाहकार योगेंद्र प्रसाद और सतलुज जल विद्युत निगम सीएमडी एचके शर्मा भी थे। श्री प्रसाद के अनुसार दोनों राज्यों के बीच सहमति बनी है कि परियोजना का निर्माण उत्तराखंड जल विद्युत निगम करेगा। मुख्य सवाल दोनों राज्यों के बीच बिजली बंटवारे का रहा। अनुमान है कि इस परियोजना की लागत दस हजार करोड़ रुपये के करीब होगी। इसमें से पांच हजार करोड़ रुपये जल का उपयोग करने वाले राज्यों के हिस्से में आएगा। दिल्ली को पीने के लिए 616 मिलियन क्यूसेक्स पानी की आपूर्ति होगी। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब तथा राजस्थान को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। बिजली कंपोनेंट के लिए पांच हजार करोड़ रुपये में उत्तराखंड तथा हिमाचल को जुटाने होंगे। यदि इक्युटी के रूप में करीब 1600 करोड़ की व्यवस्था हो जाए तो बाकी राशि बैंक से मिल सकती है। दोनों प्रदेशों को आधी-आधी इक्विटी राशि देनी होगी। ऊर्जा सलाहकार श्री प्रसाद ने बताया कि इस परियोजना की परिकल्पना 1940 में की गई थी। कालसी से 40 किमी दूर संाबरखेड़ा में 236 मीटर ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी बांध बनेगा। इससे प्रति वर्ष 1216 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन होगा। यह परियोजना बनने से डाउन स्ट्रीम में बनी छिबरो, खोदरी, ढालीपुर, ढकरानी और कुल्हाल परियोजनाओं में 410 एमयू और उत्तर प्रदेश की खारा परियोजना में 62 एमयू उत्पादन बढ़ेगा। इससे 97076 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो सकेगी।

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