Thursday, 20 August 2009
उत्तराखंड: अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ते कदम
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अक्षय ऊर्जा दिवस 20 अगस्त पर विशेष
-40 लघु प्रोजेक्टों से पैदा हो रही 3.59 मेवा बिजली, 286 गांव रोशन
-2020 तक लघु हाइड्रो-प्रोजेक्ट्स से 600 मेगावाट उत्पादन का लक्ष्य
देहरादून- राज्य सरकार की ऊर्जा नीति में असीम प्राकृतिक संसाधनों वाले उत्तराखंड में अक्षय ऊर्जा (रिन्युएबल एनर्जी) के स्रोतों के दोहन को खास तवज्जो दी गई है। इस क्रम में वर्ष 2020 तक सूबे की छोटी-बड़ी नदियों में लघु जलविद्युत परियोजनाओं से 600 मेगावाट, बायोमास व एग्रोवेस्ट से 300 मेगावाट और औद्योगिक इकाईयों में को-जेनेरेशन के जरिए 220 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, सौर ऊर्जा के अधिकाधिक उपयोग के अलावा विंड-एनर्जी (पवन ऊर्जा) प्रोजेक्ट व जियोथर्मल (भू-तापीय) एनर्जी की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं।
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बगैर अक्षय ऊर्जा स्रोतों के दोहन में अब तक सबसे ज्यादा सफलता लघु जलविद्युत परियोजनाओं के जरिए मिली है। उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) के सहयोग से वर्ष 2007-08 में बागेश्वर जनपद में 4 और चमोली जिले में 2 लघु जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया जा चुका है। ग्रामीण सहभागिता के आधार पर बनी कुल 400 किलोवाट क्षमता की इन 6 परियोजनाओं के जरिए दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्र के 33 गांवों को रोशनी की सौगात मिली है।
उरेडा द्वारा अब तक कुल 3.59 मेेगावाट की 40 लघु जलविद्युत परियोजनाओं के जरिए 286 गांवों को विद्युत सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। खास बात यह है कि इन तमाम परियोजनाओं का संचालन पूरी तरह से ग्राम समितियों के जरिए हो रहा है। इसके अलावा 12 प्रोजेक्ट्््स का निर्माण अंतिम चरण में है, जबकि 4 नए प्रोजेक्ट्््स का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। सूबे में निर्माणाधीन 1835 किलोवाट क्षमता की इन 16 परियोजनाओं के जरिए अब तक उजाले से महरूम 42 गांवों व 36 तोकों तक बल्ब की रोशनी पहुंच सकेगी।
नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्रालय की वित्तीय सहायता से पहाड़ी सूबे के 181 पारंपरिक घराटों (पनचक्की) को उच्चीकृत कर उनमें बिजली भी पैदा की जा रही है। सूबे के 484 गांवों व 121 तोकों में सौर ऊर्जा के जरिए बिजली पहुंचाई गई है।
आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में प्रतिवर्ष 20 मिलियन मीट्रिक टन एग्रो-इंडस्ट्रियल प्रोसेसिंग वेस्ट निकलता है, जिससे वर्ष 2020 तक 300 मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य है। पवन ऊर्जा की संभावनाएं तलाशने के लिए 24 स्थानों विंडमास्ट संयत्र स्थापित किए गए हैं। साथ ही, हिमालयी राज्य में मौजूद गर्म पानी के भूमिगत जलस्रोतों से भू-तापीय (जियोथर्मल) बिजली पैदा करने पर भी विचार चल रहा है। उरेडा के मुख्य परियोजना अधिकारी एके त्यागी का कहना है कि वर्ष 2020 के लिए निर्धारित लक्ष्यों पर अपेक्षित सफलता मिली तो यह पहाड़ी राज्य समूचे देश के सामने अक्षय ऊर्जा के विकास में एक आदर्श स्थापित कर सकेगा।
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