Sunday, 30 August 2009
ऊर्जा बचाने को नारी की पहल
ग्रामीण महिलाएं बना रहीं ग्रीन लाइट्स
स्पैक्स और नाबार्ड की मदद से ग्रामीण महिलाएं बना रहीं इको-फ्रेंडली एलईडी बल्ब
एलईडी करता है पारंपरिक बल्ब से 95 फीसदी व सीएफएल से 45 प्रतिशत कम बिजली खर्च
देहरादून, दून की ग्रामीण महिलाओं ने एक गैर सरकारी संस्था और नाबार्ड की मदद से बिजली व पर्यावरण बचाने की अनूठी मुहिम शुरू की है। स्पैक्स (सोसायटी फॉर पॉल्यूशन ऐंड एन्वायरमेंटल कंजरवेशन साइंटिस्ट्स) ने नाबार्ड की मदद से दून के ग्रामीणों को बहुत कम बिजली खपत करने वाले एलईडी बल्ब बनाने का प्रशिक्षण देना शुरू किया है। एलईडी बल्ब की उम्र 50 हजार से एक लाख घंटे होती है और इससे सामान्य पारंपरिक बल्ब से 95 फीसदी और सीएफएल की तुलना में 45 प्रतिशत कम बिजली खर्च होती है। सबसे खास बात तो यह है कि एलईडी इको फ्रेंडली होते हैैंं।
स्पैक्स ने हाल में ही देहरादून के हरबंसवाला के ग्रामीणों को एलईडी बल्ब बनाने का प्रशिक्षण दिया। स्पैक्स के सचिव व वैज्ञानिक डॉ. बृजमोहन शर्मा का कहना है कि स्पैक्स व नाबार्ड देश की ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए तरह के उद्योगों की नींव रखने का प्रयास कर रहे हैैं। उन्होंने बताया कि इकोफ्रेंडली होने के कारण एलईडी बल्बों को ग्रीन लाइट्स भी कहा जाता है। उनका कहना है कि सामान्य फिलामेंट वाले बल्ब जहां ज्यादा ऊर्जा की खपत करते हैैं वहीं सीएफएल में इस्तेमाल होने वाला पारा पानी में मिल कर मनुष्यों व जानवरों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालता है। देश में सीएफएल का प्रयोग तो हो रहा है लेकिन उनके डिस्पोजल की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में एलईडी बल्ब सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है। इससे एक ओर ऊर्जा की खपत बहुत कम हो जाती है वहीं पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। नाबार्ड के मैनेजर राकेश गुप्ता का कहना है कि ग्रामीण अगर समूह बना कर काम करेंगे तो वे खुद कुटीर उद्योग चला सकते हैैं। एलईडी भविष्य का बल्ब है। अंतत: यह बाजार से सीएफएल को बाहर कर देगा। हरबंसवाला की नेहा, रेखा, लक्ष्मी, रुचि, सोनी, मोनिका, उषा, पूनम, कमला और अनेक युवतियों ने एलईडी बनाने के लिए इलेक्ट्रानिक्स के कंपोनेंट्स की पहचान, उनकी क्षमता का मल्टीमीटर से आकलन, पीसीबी पर प्रतिरोधक, संधारित्र, लाइट इमिटिंग डायोड को सोल्डर से लगाने का प्रशिक्षण लिया है। उनका कहना है कि एलईडी निर्माण से एक ओर उन्हें स्वरोजगार का अवसर मिला है तो दूसरी ओर उनका काम देश में ऊर्जा खपत कम करने और पर्यावरण संरक्षण में मददगार हो रहा है।
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