Saturday, 29 August 2009

=गंगा मैनेजमेंट बोड पर होगी त्रिपक्षीय वार्ता

जल संसाधनों पर हिस्सेदारी उत्तराखंड के वजूद का सवाल कोर्ट के निर्णय से पहले ही सहमति पर पहुंच जाना चाहता है यूपी देहरादून उत्तराखंड की परिसंपत्तियों का हस्तांतरण संबंधी मामला अभी कोर्ट में हैै। उत्तर प्रदेश की मंशा इससे पहले ही गंगा मैनेजमेंट बोर्ड के साथ किसी सहमति तक पहुंचने की है। उत्तर प्रदेश ने केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर त्रिपक्षीय वार्ता को राजी कर लिया है। यह वार्ता आज दिल्ली में होनी है। उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 की धारा 79 से 83 तक उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के बीच गंगा मैनेजमेंट बोर्ड के गठन के प्रावधान हैं। बोर्ड के गठन को केंद्र सरकार ने राज्य गठन से ठीक दो दिन पहले एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके तहत उत्तराखंड की सीमा के अंदर सिंचाई परिसंपत्तियों पर उत्तर प्रदेश को कब्जा दिया गया। साथ ही उत्तराखंड को गंगा मैनेजमेंट बोर्ड के गठन पर सहमत होने की अनिवार्यता जोड़ दी गई। अभी हाल में नैनीताल हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर निर्णय देते हुए इस नोटिफिकेशन को क्वैश कर दिया। अब मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। अब यूपी की कोशिश है कि सिंचाई परिसंपत्तियों पर सुप्रीम कोर्ट से कोई निर्णय आने से पहले ही गंगा मैनेजमेंट बोर्ड पर उत्तराखंड के साथ किसी सहमति तक पहुंचा जाए। इसके लिए दिल्ली में कल बुधवार को त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की गई है। उत्तराखंड में भी इस बैठक के लिए तैयारियों तेज की गईं। सचिवालय में आज इस बारे में एक बैठक बुलाई गई थी पर सीएम की व्यस्तताओं के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी। खास बात यह है कि उत्तराखंड के लिए सबसे जल सबसे बड़ा प्राकृतिक संसाधन है। उत्तराखंड में मौजूद जल संसाधनों का अगर समुचित उपयोग हो तो राज्य इसी से आत्मनिर्भर बन सकता है। राज्य की सीमा में जल संसाधनों पर किसी और राज्य के साथ हिस्सा बांटना उत्तराखंड के हितों पर सबसे बड़ा कुठाराघात होगा। हालांकि दबाव की राजनीति में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार की सिफारिश पर एनडीए की सरकार ने गंगा मैनेजमेंट बोर्ड पर सहमति दे दी थी। उत्तराखंड तो पहले से ही पावर जनरेशन को बोर्ड के दायरे से बाहर रखने का तर्क देता रहा है। अब इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के वजूद में आने से उत्तराखंड का पक्ष और भी मजबूत हो गया है। देखना है कि उत्तर प्रदेश के दबाव का ऊंट किस करवट बैठता है।

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