Friday, 7 August 2009
संर्घष स्वभाव है पहाड़ की नारी का
जो सिस्टम पिछले पांच साल से बहला रहा था, वही पांच घंटे में राइट टाइम हो गया. ऐसा उस पहाड़ की नारी ने कर दिखाया, जिसने कभी अक्षरों की रेखा नहीं खींची.
किताबों के आखर नहीं पढ़े. लेकिन, उसके भीतर अपने क्षेत्र के उपेक्षा की पीड़ा 5 साल में नासूर बन चुकी थी. आखिर जबरा देवी के पास कोई और आप्शन भी तो नहीं बचा था. वह अपने क्षेत्र से लेकर देहरादून और दिल्ली के जंतर-मंतर तक आवाज बुलंद कर चुकी थीं, लेकिन अधिकारियों ने सुने को भी अनसुना कर दिया, जिसे अब सुना गया है.
: टिहरी बांध प्रभावित क्षेत्र की एक महिला ने मंगलवार को करीब छह घंटे तक शासन-प्रशासन की सांसें अटकाए रखीं। बांध प्रभावित प्रतापनगर व गाजणा क्षेत्र के लोगों की पांच सूत्री मांग को लेकर संघर्षरत यह महिला शासन-प्रशासन के उदासीन रवैये से क्षुब्ध होकर मंगलवार सुबह प्रसार भारती के करीब 35 मीटर ऊंचे टावर पर चढ़ गई। अधिकारियों के बार-बार मिन्नत के बाद भी महिला ने लिखित आश्वासन मिले बगैर नीचे उतरने से साफ इनकार कर दिया। इस दौरान जिलाधिकारी टिहरी व पुनर्वास निदेशक सचिन कुर्वे समेत प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री सुभाष कुमार ने भी महिला से मोबाइल फोन पर बात की। पुनर्वास निदेशालय से 8 अगस्त को शासन स्तर पर वार्ता का लिखित आश्वासन मिलने के बाद ही महिला नीचे उतरी। टिहरी गढ़वाल के प्रतापनगर व गाजणा क्षेत्र की समस्याओं के निदान की मांग को लेकर 57 दिन से विधानसभा के समक्ष धरने पर बैठी टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति की अध्यक्ष जबरा देवी राणा प्रसार भारती के टावर पर चढ़ गई। इसकी सूचना पर पुलिस के साथ ही प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। एसडीएम (सदर) अजय अरोड़ा व एसपी सिटी जगतराम जोशी समेत कई अधिकारियों ने मोबाइल फोन पर बात कर महिला से नीचे उतरने की गुजारिश की, लेकिन वह नहीं मानी। टावर पर बने प्लेटफार्म पर डटी जबरा देवी ने कहा कि जब तक मांगों पर लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता वह नीचे नहीं उतरेगी। साथ ही, चेताया कि यदि किसी ने ऊपर चढ़ने की कोशिश की तो वह अपने साथ लाया जहर पीकर जान दे देगी। लगातार छह घंटे तक महिला को मनाया गया। मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक समेत प्रमुख सचिव (मुख्यमंत्री) सुभाष कुमार, डीएम (टिहरी) व पुनर्वास निदेशक सचिन कुर्वे आदि ने भी महिला से मोबाइल फोन पर बातचीत की। प्रमुख सचिव सुभाष कुमार ने महिला को 8 अगस्त को मांगों पर वार्ता करने का भरोसा दिया।
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उत्तराखंड पर आज जो लोग राज कर रहे है उन्हे सोचना चाहिए की राज्य पहाड़ की मां के संर्घष का ही फल है (वह शब्द कोदा झगोरा खायेगे उत्तराखंड बनाएगें )क्योकि संर्घष स्वभाव है पहाड़ की नारी का - मां तुझे प्रणाम
ReplyDeletemaa tujhe salam dave bhumi uttrakhand
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