Saturday, 1 August 2009

=भविष्य का ईंधन बायो-बुटानोल

-दून स्थित भारतीय पेट्रोलियन संस्थान में किया जा चुुका है प्रयोग देहरादून: यदि सब कुछ ठीक-ठाक चला तो आने वाले समय में ऐसे ईंधन की तलाश पूरी हो जाएगी, जो बेहतर होने के साथ-साथ पर्यावरण मित्र भी होगा। दून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) में इस पर हुए अब तक के प्रयोगों से वैज्ञानिक उत्साहित हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार कृषि उत्पादों और अपशिष्ट से पैदा होने वाला बुटानोल भविष्य का ईंधन हो सकता है। बस जरूरत है ऐसी तकनीक की जो उसकी कीमत व्यावसायिक रूप से कम कर सके। आईआईपी के वैज्ञानिक मृत्युंजय कुमार शुक्ला के मुताबिक बुटानोल की काइनेमैटिक विस्कोसिटी गैसोलीन से कई गुना ज्यादा और उच्च गुणवत्ता के डीजल के बराबर ही होती है। इसके वाष्पन की गुप्त उष्मा एथनोल से आधी होती है इसलिए बुटानोल से चलने वाला इंजन एथनोल की अपेक्षा जाड़ों में भी आसानी से स्टार्ट हो सकता है। श्री शुक्ला के मुताबिक बुटानोल गैसोलीन व डीजल इंजनों के लिए बहुत मुफीद साबित हो सकता है। हालंाकि इंजनों में इसका बहुत प्रयोग नहींकिया गया है, लेकिन पिछले कुछ बरसों में आईआईपी में हुए प्रयोगों में पता चला कि 100 प्रतिशत एन-बुटानोल का प्रयोग अनमोडिफाइड फोर-साइकिल इंजन या डीजल समेत 30 प्रतिशत ब्लेंडिंग के साथ कम्प्रेशन इंजन में या जेट टरबाइन इंजन में केरोसीन के साथ 20 फीसदी मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। आईआईपी की प्रयोगशाला में बजाज कैलिबर-115 मोटरसाइकिल में इसका इस्तेमाल किया गया। प्रयोग में 99.9 शुद्ध एथनोल व 99.9 प्रतिशत शुद्ध बुटानोल पांच व दस प्रतिशत ब्लेंड के साथ गैसोलीन में मिलाया गया। प्रयोग में पाया गया कि 10 प्रतिशत बुटानोल वाले ईंधन के इस्तेमाल से सबसे कम हाइड्रो क्लोराइड, कार्बन मोनोआक्साइड व नाइट्रोजन आक्साइडों का उत्सर्जन कम हो गया। एथनोल से हाइड्रोक्लोराइड का उत्सर्जन सबसे कम हो गया। वैसे बुटानोल के उत्सर्जन से आंख नाक व गले में खुजली खारिश होती है, लेकिन बहुत नुकसान नहींपहुंचता। अब तक रूस में आविष्कृत एबीई यानी एसिटोन, बुटानोल, एथनोल फर्मेन्टेशन प्रक्रिया ही सबसे जानी मानी उत्पादन प्रक्रिया है। बाद में इस पर इजराइल में भी शोध किया गया। श्री शुक्ला का कहना है कि अगर बायो-बुटानोल पर और शोध हो तो यह भविष्य का पर्यावरण मित्र ईंधन बन सकता है। जिसके लिए इंजनों में कोई मोडिफिकेशन भी नहीं करना पड़ेगा। बायो-बुटानोल के लाभ -आज के वाहनों व इंजन तकनीक में भी इस्तेमाल संभव -एथनोल की बजाय गैसोलीन के समान ही ऊर्जा देता है -लो वैपर प्रेशर के कारण पारंपरिक गैसोलीन में मिलाना संभव -आज के बायो फ्यूल की बजाय पाइप लाइनों से आपूर्ति संभव

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