Monday, 10 August 2009

-ऊर्जा: उत्तरी ग्रिड से सीधे जुड़ेगा उत्तराखंड

-दून में बना रहा है प्रदेश का अपना 'उत्तराखंड लोड डिस्पैच सेंटर' -बिजली के ट्रांसमिशन के लिए उत्तर प्रदेश पर निर्भरता खत्म होगी -ट्रांसमिशन नेटवर्क पर ऑनलाइन सिस्टम के जरिए रहेगी सीधी नजर देहरादून,बिजली के ट्रांसमिशन के मामले में उत्तराखंड की पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश पर निर्भरता अब जल्द ही पूरी तरह खत्म हो जाएगी। देहरादून में प्रदेश का अपना ट्रांसमिशन कंट्रोल तैयार हो रहा है, जिसे 'उत्तराखंड लोड डिस्पैच सेंटर' (यूएलडीसी) का नाम दिया गया है। करीब 13.78 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले यूएलडीसी के जरिए सूबे का ट्रांसमिशन नेटवर्क नार्दन रीजन लोड डिस्पैच सेंटर (एनआरएलडीसी) के साथ सीधे जुड़ जाएगा। गौरतलब है कि सूबे का नेटवर्क अभी तक पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के डिस्पैच सेंटर के जरिए ही एनआरएलडीसी के साथ जुड़ा हुआ है। पारेषण निगम (पिटकुल) की कोशिशें यदि समय रहते परवान चढ़ीं, तो बिजली के ट्रांसमिशन के मामले में दिसंबर 2010 तक उत्तराखंड की पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश पर निर्भरता पूरी तरह खत्म हो जाएगी। राजधानी देहरादून में 132 केवी माजरा सब-स्टेशन के परिसर में पिटकुल के मुख्यालय का निर्माण चल रहा है। साथ ही, निगम मुख्यालय के इस निर्माणाधीन भवन के टॉप-फ्लोर पर उत्तराखंड लोड डिस्पैच सेंटर बनाने की कवायद भी शुरू हो चुकी है। कुल 13.78 करोड़ रु. की लागत वाले इस यूएलडीसी के लिए 70 फीसदी ऋण रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन (आरईसी) से जुटाया गया है। जबकि शेष 30 फीसदी पूंजी निवेश राज्य सरकार को करना है। फायदा यह होगा, कि प्रदेश का ट्रंासमिशन नेटवर्क, जो अभी तक उत्तर प्रदेश के लोड डिस्पैच सेंटर से जुड़ा, खुद ही सीधे एनआरएलडीसी से जुड़ जाएगा। ऑनलाइन सिस्टम के जरिए जहां ट्रंासमिशन नेटवर्क पर पल-पल नजर होने से फुलप्रुफ मॉनिटरिंग संभव होगी, वहीं बिजली की बिक्री व खरीद (पावर ट्रेडिंग) में भी इसका फायदा मिलेगा। पारेषण निगम के उप महाप्रबंधक विकास शर्मा ने बताते हैं कि यूएलडीसी के निर्माण के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनी मैसर्स एरेवा के साथ नवंबर 08 में ही अनुबंद हो चुका है और अब पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया लि. की टेक्निकल कंसल्टेंसी में इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। दो वर्ष के भीतर प्रदेश का अपना यूएलडीसी तैयार होने की उम्मीद है।

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