Thursday, 20 August 2009
महिला अस्पताल : परायी जमीन पर खड़ा होगा तिमंजिला भवन
राजकाज का सच
-उच्चीकरण में स्वास्थ्य विभाग का अजीबोगरीब कारनामा
-जुलाई में मुख्यमंत्री भी कर चुके हैैं
शिलान्यास
-शासन से हो चुकी है टोकन
मनी आवंटित
-तहसील के अभिलेखों में
टीकाराम के नाम है भूमि
, हल्द्वानी
स्वास्थ्य विभाग का काम भी अजीबोगरीब हैैं। जिस भूमि का मालिकाना हक नहीं है,उसी पर नया भवन बनाने का निर्णय कर डाला। इतना ही नहीं भवन के लिए शासन ने टोकन मनी भी आवंटित कर दी और मुख्यमंत्री के हाथों श्रीगणेश भी करा लिया गया। इसके अलावा निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था भी तय हो गयी। लेकिन भूमि को विभाग के नाम कराने में अफसरों के अब पसीने छूट गये हैैं।
शायद आपको विश्वास नहीं हो रहा होगा, लेकिन है एकदम सच। शहर के महिला अस्पताल के उच्चीकरण के मामले में ऐसा ही हुआ है। शहर की आबादी बढऩे के साथ ही महिला अस्पताल के उच्चीकरण की मांग भी जोर पकडऩे लगी। चार दशक पहले स्थापित 30 बेड के अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ रहती है। लिहाजा विभाग ने अस्पताल से सटी 4.714 हेक्टेयर भूमि में 100 बेड का अस्पताल बनाने को लेकर प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजा था। करीब एक साल पहले इसे स्वीकृति भी मिल गयी। इसकी अनुमानित लागत 355 लाख रुपये है। शासन में उपसचिव सुनील पांथारी द्वारा जारी आदेश के तहत 20 मार्च 2009 को डेढ़ लाख रुपये टोकन मनी भी स्वीकृत कर दी गयी। तीन महीने बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से यह धन अस्पताल निर्माण के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। निर्माण का जिम्मा पेयजल निगम की निर्माण इकाई रामनगर को सौंपा गया है। निगम अपने स्तर से ध्वस्तीकरण व निर्माण की भी तैयारी में जुटा है। पंतनगर के वैज्ञानिकों ने मिट्टी परीक्षण भी किया है। अस्पताल के इस जीर्ण-शीर्ण भवन को ध्वस्त करने के लिए शासन को 64860 रुपये का प्रस्ताव भेजा गया था।
मजेदार बात यह है कि जिस भूमि पर अस्पताल के नये भवन बनाने की स्वीकृति दी गयी है, वह भूमि ही विभाग के नाम नहीं हैै। वर्तमान में तहसील के अभिलेखों के मुताबिक यह भूमि टीकाराम भगत पुत्र कृष्णा भगत लोहरियासाल मल्ला के नाम से नजर आ रही है। ऐसे में विभाग के नाम भूमि होना बेहद मुश्किल हो गया है। हालांकि विभागीय अफसर ऑफ दि रिकार्ड बता रहे हैैं कि भूमि को 1937 में राम प्यारी पत्नी भोलानाथ ने अस्पताल को दान दिया था, लेकिन इसका कोई रिकार्ड नहीं बताया जाता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिस भूमि का मालिकाना हक विभाग के पास नहीं है, उस पर अस्पताल उच्चीकरण की इबारत कैसे लिख दी गयी। शासन स्तर से भी स्वीकृति कैसे मिल गयी। इतना ही नहीं 26 जुलाई 09 को मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उच्चीकरण की नींव (शिलान्यास) भी रख दी। कानूनविदों के मुताबिक किसी वाजिब दस्तावेज के आधार पर ही भूमि विभाग के नाम हो सकती है, लेकिन दस्तावेज नहीं होने से उच्चीकरण लटक सकता है।
भूमि विभाग के नाम कराने के प्रयास
मुख्य चिकित्साधिकारी डा. डीएस गब्र्याल का कहना है कि भूमि को विभाग के नाम कराने के प्रयास चल रहे हैैं। कहां और कैसे चल रहे हैैं इस बारे में उनके पास जवाब नहीं है। उन्होंने बताया कि अस्पताल भवन को डिसमेंटल करने को लेकर प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसकी अनुमति आने के बाद कार्य आरंभ होगा। स्वास्थ्य महानिदेशक डा. प्रेमलता जोशी का कहना है कि महिला अस्पताल के उच्चीकरण की प्रगति के बारे में देखा जाएगा, अलबत्ता मालिकाना हक नहीं होने के बारे में उन्होंने अनभिज्ञता व्यक्त की।
:::क्या-क्या बनना है:::
उच्चीकरण के प्रस्ताव के मुताबिक 100 बेड के इस अस्पताल को तीन मंजिला बनाया जाना है। पहली मंजिल में चार चिकित्साधिकारी, चार बेड, आकस्मिक कक्ष, स्टोर व अल्ट्रासाउंड कक्ष बनाया जाना है। दूसरी मंजिल में सेप्टिक ओटी, सामान्य ओटी, एमटीपी कक्ष, सेंट्रल स्टरलाइजेशन सप्लाई तथा तीसरी मंजिल में एक डिलीवरी कक्ष मय ओटी, रिकवरी वार्ड के अलावा 41 बेड के दो वार्ड तीन प्राइवेट वार्ड, रैंप व लिफ्ट भी बनायी जानी है।
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