Wednesday, 5 August 2009

=आखिर कब तक सुध नहीं लेगा केंद्र

उत्तराखंड के सीएम डा. निशंक लगातार दे रहे दिल्ली दरबार में दस्तक केंद्र सरकार से सूबे को कई मामलों में मदद की दरकार बड़े भाई यूपी की दादागीरी से भी हलकान है देवभूमि देहरादून देवभूमि उत्तराखंड को केंद्रीय मदद की दरकार है। विकास कार्योंं के लिए धन की जरूरत है तो बड़े भाई उत्तर प्रदेश की दादागीरी से निजात की दरकार। इस बारे में अब तक की सरकारों ने भी कोशिशें की पर मुख्यमंत्री ने दिल्ली दरबार में लगातार दस्तक का सिलसिला शुरू किया है। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस सूबे की सुध कब तक लेगी। गठन के बाद से ही इस उत्तराखंड को तमाम समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। सूबे की खाद्यान्न व्यवस्था का आलम यह है कि अधिकांश हिस्सा सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर आधारित है। केंद्र से मिलने वाले खाद्यान्न कोटे में कमी की समस्या पुरानी है। कमोवेश यही स्थिति मिट्टी तेल और रसोई गैस की है। राज्य में होने वाले विकास कार्योंं में वन अधिनियम एक बड़ी बाधा है। केंद्र से अनुमति मिलने में सालों लगने से एक तो परियोजनाओं की लागत कई गुना बढ़ जाती है तो जनता को परेशानी अलग से उठानी पड़ती है। सूबे की वित्तीय हालत भी ठीक नहीं है। फिर कर्मियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ देने से अतिरिक्त वित्तीय भार भी आ गया है। ऐसे में उत्तराखंड को केंद्रीय मदद की दरकार है। विकास के लिए बेहद जरूरी उद्योगों की स्थापना में दिक्कत अलग से आ रही है। केंद्र से औद्योगिकीकरण को मिले पैकेज की समय कम करने से नए उद्योगों का रुख इस राज्य की ओर कम हो रहा है। एक बड़ी समस्या बड़े भाई उत्तर प्रदेश की वजह से हो रही है। यूपी ने दादागीरी की दम पर इस राज्य की करोड़ों की परिसंपत्तियों पर कब्जा जमा रखा है। सूबे से बाहर की बात छोड़ भी दी जाए तो इस राज्य की सीमा में स्थिति परिसंपत्तियों पर भी यूपी ने जबरन कब्जा कर रखा है। राज्य को उत्तर प्रदेश से पेंशन व वेतन मद में तकरीबन सात सौ करोड़ रुपये लेना है। केंद्र के आदेश पर बनी एक उच्च स्तरीय कमेटी इस बारे में निर्णय ले चुकी है। इसके बाद भी बड़ा भाई अपनी दादागीरी से बाज नहीं आ रहा है। इसके अलावा भी राज्य की तमाम समस्याएं केंद्र स्तर से ही हल होनी है। इनके निस्तारण के लिए उत्तराखंड के स्तर से किए गए प्रयास अब तक बेनतीजा ही रहे हैैं। मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने अब इस बारे में नए सिरे से प्रयास किए हैैं। सूबे का मुखिया बनने के बाद वे महज सवा महीने के समय में वे दिल्ली के दो दौरे कर चुके हैैं। संबंधित केंद्रीय मंत्रियों के साथ ही खुद प्रधानमंत्री से मिलकर भी उन्होंने सूबे की समस्याओं पर न केवल बात की, बल्कि समाधान को तत्काल कदम उठाने का आग्र्रह भी किया। राज्य सरकार ने तय कर लिया है कि समस्याओं के समाधान तक केंद्र सरकार से इसी प्रकार संपर्क किया जाता रहेगा। अब देखना होगा मुख्यमंत्री की इस नई पहल पर केंद्र सरकार स्तर से कब तक और क्या एक्शन लिया जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर केंद्र से पूरी मदद मिले तो यह नया राज्य तेजी से प्रगति के पथ पर अग्र्रसर हो सकता है।

1 comment:

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    Best wishes from Italy!

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