Friday, 7 August 2009
उत्तराखंड सचिवालय मेंपहले आईपीएस की 'एन्ट्री'
देहरादून, : मुख्यमंत्री की पहल पर उत्तराखंड सचिवालय में पहली बार किसी आईपीएस अफसर को एन्ट्री मिली है
। माना जा रहा है कि सीएम की मंशा पुलिस महकमे की दिक्कतों को गहराई से समझाने की है। इस पहल को 'विशेषज्ञ अफसरों' की तैनाती की शुरुआत के रूप में भी देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री डा. निशंक ने एक आईपीएस अफसर दीपम सेठ की सचिवालय में एन्ट्री कराई है। आईपीएस दीपम को सीएम ने अपना अपर सचिव तो बनाया ही है, अपर सचिव (गृह) का दायित्व भी उन्हें दिया है। राज्य गठन को नौ साल हो चुके हैैं और अब तक यह सूबा चार मुख्यमंत्रियों की कार्यशैली को देख चुका है। अब तक किसी भी मुख्यमंत्री ने आईपीएस अफसर को सचिवालय में नहीं बुलाया।
सूबे का गृह विभाग अब तक पूरी तरह से आईएएस अफसरों के पास ही रहा है। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में आईपीएस अफसरों को मुख्यमंत्री अपने साथ रखते रहे हैं। डा. निशंक ने भी अब सूबे में नई व्यवस्था बनाते हुए एक आईपीएस को अपने साथ रखा है।
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री की मंशा पुलिस प्रशासन ही नहीं पूरे गृह विभाग को नजदीक से जानने की है। एक आईपीएस अफसर फील्ड में रहने के दौरान विभाग की दिक्कतों को व्यावहारिक रूप से ज्यादा समझा सकता है। देखना होगा मुख्यमंत्री डा. निशंक की एक विशेषज्ञ के रूप में आईपीएस की सचिवालय में तैनाती गृह विभाग की कार्यशैली में क्या बदलाव दर्शाती है।
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