Thursday, 2 April 2009
गजब: दो माह में बनाईं 12 करोड़ की गूलें!
Apr 02, देहरादून। लगता है कि लघु सिंचाई विभाग की गूलों और मगरमच्छों का रिश्ता गहराता जा रहा है। अभी हाल में ही अफसरों ने एक बड़ा कारनामा दिखाते हुए महज दो महीनों में ही 12 करोड़ रुपये खर्च कर गूलें बना दीं। खास बात यह भी है कि इस काम में अधीनस्थों की मदद भी नहीं ली गई। इस विभाग की स्थिति यह है कि अफसर मौन में और मगरमच्छ मौज में हैं।
लघु सिंचाई विभाग के देहरादून खंड में आने वाले कालसी और विकास नगर इलाकों में बनाईं गई गूलें एक बार फिर चर्चा में हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि इन इलाकों में अफसरों ने केवल दो माह में ही 12 करोड़ रुपये का काम कर दिखाया। दिन के लिहाज से बात करें तो इस पर्वतीय इलाके में एक दिन में ही बीस लाख रुपये की लागत का निर्माण किया गया। सूत्रों ने बताया कि एक खास बात यह भी है कि 12 करोड़ के इस निर्माण में अवर अभियंता और सहायक अभियंता का कोई भी रोल नहीं दिख रहा है। कोषागार से हुए भुगतान के आंकड़े साफ बता रहे हैं कि इस भारी-भरकम राशि को खर्च करने में केवल दो माह का वक्त लगा। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उक्त इलाकों में इतनी तेज गति से काम होना वास्तव में एक बड़ा कारनामा है। अगर इसी गति से काम होता रहा तो पर्वतीय इलाकों में तो सिंचाई की कोई समस्या ही नहीं रहेगी। महकमे में 12 करोड़ की गूलों का यह मामला आज दिनभर चर्चा में रहा। इस मामले में इलाके के सहायक अभियंता एके यादव से बात करने की कोशिश की गई तो बताया गया कि वे पहले से ही निलंबित चल रहे हैं। अधिशासी अभियंता ब्रजेश गुप्ता ने अपना मोबाइल कहीं ऐसी जगह डायवर्ट कर रखा है, जहां लाइन ही नहीं पहुंच पा रही थी। विभागीय सचिव विनोद फोनिया का कहना है कि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं है। अगर आएगा तो निश्चित रूप से जांच कराई जाएगी। सवाल यह है कि इस विभाग में जांच का अर्थ क्या है। एक-दूसरे की तमाम जांच अफसरों ने आपस में ही दबा रखी हैं। अगर किसी का संज्ञान लिया भी जा रहा है तो केवल वसूली का आदेश देकर मौज करते रहने का अभयदान दिया जा रहा है। ऐसे में इस विभाग के इंजीनियरों को नोटों के बिस्तर पर सोने से कौन रोक सकता है।
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