Friday, 17 April 2009

टूरिस्ट को ना, नेताजी का वेलकम

देहरादून उड़नखटोले में बैठकर चुनाव प्रचार करना किसे नहीं भाएगा। दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों वाले सूबे में इसे राजनीतिज्ञों की जरूरत कहा जाए या फिर चुनाव प्रचार में लगातार शामिल हो रहे धन-बल का प्रदर्शन, चुनावों में हेलीकाप्टर चाहने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है।यहां तक कि उड़नखटोले के जरिए बदरी-केदार के दर्शन कराने वाली हेलीकाप्टर कंपनियों ने भी अपनी बुकिंग राजनीतिज्ञों के लिए ही कर रखी है। इससे आम पर्यटकों को चाहे मायूस ही होना पड़ रहा हो, लेकिन कंपनियों की तो चांदी ही है। क्योंकि वे राजनीतिज्ञों से दुगुने-तिगुने दाम वसूल रही हैं। उत्तराखंड जैसे दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र वाले सूबे के लिए सभी जगहों पर पहुंचकर चुनाव प्रचार करना काफी मुश्किलों भरा रहा है। क्योंकि, एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचने में ही घंटों लग जाते हैं। इस बार राजनीतिज्ञों ने इसका विकल्प निकाला है। अपने चुनावी क्षेत्र में हेलीकाप्टर से पहुंचना एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है। इससे जहां समय की बचत होती है वहीं उम्मीदवार की शान भी बनी रहती है। हालांकि, इसके सभी नतीजे अच्छे नहीं निकल रहे हैं। बदरी-केदार के उड़नखटोले में बैठाकर कराने वाली हेलीकाप्टर कंपनी प्रभातम और पवनहंस ने इस बार सभी बुकिंग राजनीतिज्ञों के लिए कर रखी है। इसके चलते वे बदरी-केदार के लिए अपनी सेवाएं 11 मई के बाद ही शुरू करेंगी। विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञों के मुताबिक हेलीकाप्टर कंपनियों को राजनीतिज्ञों से दुगुने-तिगुने दाम मिल रहे हैं। आमतौर पर एक औसत हेलीकाप्टर को 75 हजार रुपये प्रतिघंटे के हिसाब से बुक किया जाता है। लेकिन, इन दिनों यह रेट बढ़कर सवा दो लाख रुपये प्रति घंटे तक हो चुका है। हेलीकाप्टर कंपनियों को उम्मीद है कि चुनाव के लिए नामांकन के बाद उनकी मांग में और तेजी आएगी। इसके बाद प्रतिघंटे का रेट और बढ़ने की संभावना है। इसे देखते हुए बदरी-केदार की छोड़ इस समय चुनावी उड़ान भरने में ही हेलीकाप्टर कंपनियां फायदा देख रही हैं। प्रमुख सचिव नागरिक उड्डयन पीसी शर्मा के मुताबिक विमान कंपनियों ने 11 मई के बाद से बदरी-केदार के लिए सेवाएं शुरू करने की जान

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