बिजली उत्पादन में पिछड़ रहा ऊर्जा प्रदेश देहरादून, जागरण ब्यूरो: उत्तराखंड की जल विद्युत इकाइयां बिजली उत्पादन में पिछड़ रही हैं। इसका मुख्य कारण नदियों के जल स्तर में दर्ज की जा रही गिरावट है। उत्पादन कम होने से उत्तराखंड की उत्तरी ग्रिड पर निर्भरता बनी हुई है। ऐसे में ओवरड्रा और पावर शेडिंग से संतुलन बनाने के प्रयास हो रहे हैं। 13 अप्रैल को दिन में राज्य में बिजली की मांग 22.229 एमयू थी। इस दिन राज्य की अपनी इकाइयों से सिर्फ 7.495 एमयू का उत्पादन हुआ, केंद्र से हिस्से के रूप में 10.506 एमयू बिजली मिली। राज्य को करीब दो एमयू बिजली ओवरड्रा करनी पड़ी। इससे भी काम नहीं चला तो करीब दो एमयू पावर शेडिंग करनी पड़ी। पिछले सालों में मार्च और अप्रैल से जल विद्युत इकाइयों में उत्पादन बढ़ने लगता है पर इस बार नदियों का जल स्तर अभी भी नीचे है। इससे अप्रैल के पहले सप्ताह तक उत्पादन की स्थिति काफी खराब रही। एक से छह अप्रैल तक अपनी इकाइयों से उत्तराखंड पांच और छह एमयू ही उत्पादन कर पाया। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में बारिश होने के बाद सात तारीख को उत्पादन सात एमयू के करीब पहुंच गया। उसके बाद से 13 अप्रैल तक यह सात और आठ एमयू के आसपास चल रहा है। रोजाना करीब दो एमयू का उत्पादन देने वाली रामगंगा परियोजना फिलहाल बंद है। यह सिंचाई आधारित परियोजना उत्तर प्रदेश की सिंचाई मांग पर ही चलती है। अब इसके शुरू होने की संभावना है। यदि पिछले वर्ष 13 अप्रैल के उत्पादन से तुलना करें तो इस दिन नौ एमयू से अधिक उत्पादन हुआ। यह इस साल सात एमयू से थोड़ा ही अधिक है। नदियों में पानी की मात्रा कम होने का प्रभाव छिब्रो परियोजना में दिखता है। 13 अप्रैल 08 को 1.59 एमयू तो 13 अप्रैल 09 को महज1.047 एमयू ही बिजली पैदा हो पाई। मनेरी भाली फेज-दो से पिछले वर्ष 13 अप्रैल को 2.060 एमयू और इस वर्ष 1.630 एमयू का उत्पादन हुआ। जल विद्युत निगम के एमडी आरपी थपलियाल कहते हैं कि भागीरथी समेत लगभग सभी नदियों का जल स्तर इस बार गिरा हुआ है। यदि रामगंगा परियोजना पर उत्पादन शुरू हो सका तो राज्य को दो एमयू यूनिट बिजली अपने संसाधनों से और मिल जाएगी। इससे भी ओवरड्रा और लोड शेडिंग से निजात मिलाना संभव नहीं दिखाई दे रहा है। ऐसा लगता लगता है कि उत्तराखंड की ग्रिड पर निर्भरता अभी बनी रहेगी।
No comments:
Post a Comment